उत्तर प्रदेश में डीजीपी (DGP) की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए ‘पुलिस महानिदेशक चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024’ को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस नए नियम को स्वीकृति दी गई। अब राज्य सरकार को डीजीपी की नियुक्ति के लिए केंद्र से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे करीब तीन साल से स्थायी डीजीपी की नियुक्ति का लंबा इंतजार समाप्त हो सकेगा। वहीं, कैबिनेट के इस निर्णय पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने प्रतिक्रिया देते हुए तंज कसा है।
अखिलेश यादव ने कही ये बात
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, ‘सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनाई जा रही है… सवाल ये है कि व्यवस्था बनानेवाले खुद 2 साल रहेंगे या नहीं। कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है। दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0।’
सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनायी जा रही है… सवाल ये है कि व्यवस्था बनानेवाले ख़ुद 2 साल रहेंगे या नहीं।
कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है।
दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 5, 2024
छह सदस्यीय समिति करेगी चयन प्रक्रिया की निगरानी
नई नियमावली के तहत डीजीपी का चयन एक छह सदस्यीय समिति द्वारा किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। इस समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनके प्रतिनिधि, अपर मुख्य सचिव गृह, और एक पूर्व डीजीपी शामिल होंगे।
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समिति डीजीपी के चयन के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाएगी, जिसमें अच्छे सेवा रिकॉर्ड और अनुभव को प्राथमिकता दी जाएगी। नियमावली के अनुसार, डीजीपी पद के लिए उन्हीं अधिकारियों पर विचार किया जाएगा जिनके सेवानिवृत्ति में कम से कम छह माह का समय शेष हो।
अखिलेश का सवाल और दिल्ली बनाम लखनऊ की चर्चा
अखिलेश यादव के इस बयान ने राजनीति में गर्मी ला दी है, जहां उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार का यह कदम दिल्ली (केंद्र सरकार) के अधिकारों को सीमित करने की दिशा में है। इससे यह चर्चा छिड़ गई है कि राज्य सरकार, केंद्र के दखल से बचने के लिए डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया को अपने अधिकार क्षेत्र में लाने का प्रयास कर रही है।
पंजाब, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश चौथा राज्य
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में पुलिस व्यवस्था को किसी भी तरह के दबाव से मुक्त करने के लिए राज्यों को नई नियमावली बनाने की अपेक्षा की थी। इसके बाद पंजाब, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में डीजीपी नियुक्ति को लेकर नियम बनाए गए थे। अब उत्तर प्रदेश चौथा राज्य बन गया है जिसने डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र और राज्य-स्तरीय प्रक्रिया अपनाई है।
नई नियमावली लागू होने के बाद, राज्य सरकार अब यूपीएससी की स्वीकृति के बिना डीजीपी की स्थायी नियुक्ति कर सकेगी, जिससे प्रदेश की पुलिस व्यवस्था में स्थिरता और नेतृत्व में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
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