नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ियों को लेकर संसद में विस्तृत चर्चा की मांग की। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर संदेह जताया और इसे सार्वजनिक मंच पर उठाया। उनका आरोप है कि मतदाता सूची में अनियमितताएं हैं, जो चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को प्रभावित कर सकती हैं।
30 अप्रैल तक मांगे सुझाव
इस बीच, चुनाव आयोग (ECI) ने सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल तक उन मुद्दों पर सुझाव मांगे हैं जिनका समाधान अब तक नहीं हो सका है। यह मुद्दे निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO), जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) या मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के स्तर पर हो सकते हैं। आयोग का उद्देश्य इन समस्याओं का कानूनी दायरे में समाधान करना है।
सुझावों की प्रक्रिया और कानूनी दायरा मंगाए
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को पत्र भेजकर उनसे यह सुनिश्चित किया है कि वे 30 अप्रैल तक लंबित मुद्दों के समाधान के लिए सुझाव दें। ये मुद्दे विभिन्न स्तरों पर हो सकते हैं- ERO, DEO या CEO। आयोग ने यह स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से कानूनी ढांचे के भीतर होगी, और इसके तहत ही सभी समाधान किए जाएंगे।
राजनीतिक दलों से नियमित संवाद का प्रस्ताव
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने हाल ही में एक सम्मेलन में निर्देश दिए थे कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के CEO, DEO और ERO राजनीतिक दलों से नियमित रूप से बातचीत करें। उनका कहना था कि इन बैठकों में मिले सुझावों का समाधान किया जाए और यह समाधान कानूनी रूप से मान्य होना चाहिए।
31 मार्च 2025 तक रिपोर्ट देने की बाध्यता
चुनाव आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों को 31 मार्च, 2025 तक एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इस रिपोर्ट में उन सभी कदमों का ब्यौरा होना चाहिए जो चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए उठाए गए हैं। आयोग ने राजनीतिक दलों से भी आग्रह किया कि वे इस प्रणाली का पूरा उपयोग करें और सभी समस्याओं को सही तरीके से सामने लाएं।
संबंधित कानूनों का हवाला
चुनाव आयोग ने पत्र में कुछ महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेजों का भी जिक्र किया, जिनमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, मतदाता पंजीकरण नियम, 1960, चुनाव आचार संहिता, 1961, और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश शामिल हैं। आयोग ने कहा कि ये दस्तावेज़ उनके आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, और सभी राजनीतिक दलों को इन्हें समझने और लागू करने की आवश्यकता है।
चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता
चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वास बहाली के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राजनीतिक दलों को संलग्न करने और कानूनी दायरे में समाधान ढूंढने की प्रक्रिया से उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी चुनावों में मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों को सही तरीके से हल किया जा सकेगा।
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