UP: 72 जिलों में BJP अध्यक्ष घोषित, कानपुर में नाम सुन रो पड़े शिवराम, लखनऊ में विनय प्रताप की छुट्टी, 26 जिलों में रुकी चुनाव प्रक्रिया

यूपी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 72 जिलों के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी है। इस ऐलान के बाद कई जगहों पर जश्न का माहौल दिखा तो कुछ जिलों में जबरदस्त नाराजगी और विरोध देखने को मिला। खासकर कानपुर में जब शिवराम सिंह का नाम घोषित हुआ तो वे भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। वहीं लखनऊ में विनय प्रताप को हटाने के फैसले ने भी चर्चा बटोरी।

26 जिलों में भारी विरोध की वजह से रोकी गई चुनाव प्रक्रिया

भाजपा में इस बार संगठनात्मक चुनाव के दौरान जबरदस्त खींचतान देखने को मिली। 26 जिलों में भारी विरोध और गुटबाजी के चलते अंतिम समय में चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी में चल रहे विरोध को देखते हुए प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय ने एक-एक कर वॉट्सऐप के जरिए जिलों में लिस्ट भेजी। यही वजह है कि ढाई महीने से जारी संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो पाई है।

विरोध और दबाव के कारण अटकी प्रक्रिया

भाजपा के कई प्रभावशाली नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाकर 26 जिलों में अध्यक्ष पद का चुनाव रुकवा दिया। बताया जा रहा है कि जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कई जगह जातीय समीकरण और गुटबाजी सामने आई है।

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इन जिलों में चुनाव पर ब्रेक

अयोध्या: पूर्व सांसद लल्लू सिंह ने मौजूदा जिलाध्यक्ष को रिपीट करने का विरोध किया। उन्होंने अपने करीबी को जिलाध्यक्ष बनाने का दबाव बनाया।

अंबेडकर नगर: त्रयंबक तिवारी के खिलाफ स्थानीय कार्यकर्ताओं का विरोध चरम पर रहा।

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बाराबंकी: जिलाध्यक्ष अरविंद मौर्य के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ।

फतेहपुर, जालौन और झांसी महानगर में भी चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई है।

ब्रज क्षेत्र में 6 जिलों में चुनाव स्थगित

पीलीभीत, हाथरस, अलीगढ़ जिला और महानगर, एटा और फिरोजाबाद में चुनाव को रोक दिया गया।

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काशी क्षेत्र में भी उठा बवाल
  • भाजपा के गढ़ बनारस में चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई।
  • महेंद्रनाथ पांडेय के गृह जनपद चंदौली, साथ ही मिर्जापुर और जौनपुर में भी चुनाव रोक दिया गया।

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गोरखपुर और पश्चिमी यूपी में भी ठहरा चुनाव

देवरिया में स्थानीय सांसद और विधायकों के विरोध के कारण चुनाव टाल दिया गया।
पश्चिम क्षेत्र के मेरठ, हापुड़, शामली, सहारनपुर और अमरोहा में भी चुनाव स्थगित कर दिया गया।

BJP में आखिर क्यों बढ़ रहा विरोध?

पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि अपने करीबी को जिलाध्यक्ष बनवाने के लिए कई नेताओं ने चुनाव को रुकवाने का तरीका अपनाया। भाजपा की इस रणनीति से यह साफ है कि संगठन में एकजुटता बनाए रखना आसान नहीं रह गया है।

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