लापरवाही पर योगी सरकार सख्त, काशी में बिजली कटौती को लेकर की बड़ी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार लापरवाही और भ्रष्टाचार पर किसी प्रकार की कोताही बरतने को तैयार दिख रही. इसकी बानगी ऐसे समझिए कि ऊर्जा विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही की जानकारी मिलते ही बिना कोई देरी किए सख्त कार्रवाई की है. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) के निदेशक (तकनीकी) अंशुल अग्रवाल (Anshul Agrawal) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल निदेशक (तकनीकी) पद से हटा दिया गया है. अंशुल अग्रवाल को 26 जून 2018 को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र से जुड़े पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निदेशक (तकनीकी) पद पर तैनात किया गया था.


घंटो बिजली कटौती से बनारस हुआ बेहाल

दरअसल 7 जुलाई को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) के ही 33/11 केवी मछोदरी विद्युत उपकेंद्र में अंडर ग्राउंड केबिल में हुई फाल्ट के चलते करीब 18 घंटे तक बिजली गुल हो गई. जिससे न सिर्फ वाराणसी के लोगो को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, बल्कि पीएम मोदी के ही क्षेत्र में बिजली गुल हो जाने से ऊर्जा विभाग की छवि भी धूमिल हुई. हद तो तब हो गई जब 21 जुलाई को एक बार फिर इस क्षेत्र में आई फाल्ट के चलते 36 घंटे तक बिजली दोबारा गुल हो गई.


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ऊर्जा मंत्री की जांच में सामने आई लापरवाही

इसके बाद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा (Shrikant Sharma) के निर्देश पर इस मामले की उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन के स्तर से जांच कराई गई. जिसमें खुलासा हुआ कि मछोदरी उपकेंद्र को एक अन्य उपकेंद्र से वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति के लिए न तो केबिल को ठीक कराया गया और न ही 7 जुलाई को 18 घंटे बिजली गुल रहने के बावजूद अंडर ग्राउंड केबिल के स्टैंड बाई सर्किट्स में मौजूद दूर कराकर चालू हालत में रखा गया. जिसके चलते ही वाराणसी के लोगों को दोबारा 36 घंटे की बिजली कटौती झेलनी पड़ी. उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन स्तर की समीक्षा में ये बात भी सामने आई है कि पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के वाराणसी, प्रयागराज और गोरखपुर जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण जनपदों के 2500 परिवर्तक लंबे समय से खराब पड़े हैं. विद्युत वितरण निगम की कार्यशालाओं में खराब परिवर्तकों को समय से रिपेयर करने की कार्रवाई का अनुश्रवण भी नहीं किया गया.


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नहीं दे पाए स्पष्टीकरण तो कार्रवाई

अंशुल अग्रवाल के स्पष्टीकरण समेत अन्य तथ्यों का अवलोकन करने के बाद उन्हें निदेशक (वितरण) के पद से हटाने की संस्तुति कर दी. चयन समिति की संस्तुति के आधार पर बृहस्पतिवार को प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने अंशुल को तीन माह का वेतन देकर निदेशक पद से तत्काल हटाने का आदेश जारी कर दिया.


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