उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी सरकार (Yogi Government) ने राज्य कर विभाग में बड़े घोटाले का खुलासा करते हुए दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। रायबरेली में तैनात सहायक आयुक्त रितेश कुमार बरनवाल (Ritesh Kumar Barnwal) और उपायुक्त मनीष कुमार (Manish Kumar) पर राजधानी इंटरप्राइजेज (Rajdhani Enterprises) नामक फर्जी फर्म से मिलीभगत कर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। दोनों अधिकारियों ने कथित रूप से 10.76 करोड़ रुपये की आईजीएसटी (IGTC) आईटीसी (ITC) को अवैध तरीके से प्रदेश के बाहर ट्रांसफर कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।
एक महीने में जांच रिपोर्ट सौंपेंगे अपर आयुक्त
इस गंभीर मामले की जांच के लिए अपर आयुक्त सैमुअल पाल एन. को नियुक्त किया गया है। उन्हें एक माह के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश मिला है। जांच पूरी होने तक दोनों अधिकारियों को बांदा स्थित संयुक्त आयुक्त राज्य कर कार्यालय से संबद्ध रखा गया है। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि सरकार कर घोटालों पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है।
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विभागीय जांच शुरू
सिर्फ निलंबित अधिकारियों पर ही नहीं, बल्कि तत्कालीन कार्यपालक संयुक्त आयुक्त देवेंद्र सिंह पर भी जांच की तलवार लटक रही है। उन पर आरोप है कि उन्हें इस घोटाले की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने इसे उच्च अधिकारियों और केंद्रीय जीएसटी विभाग को समय पर नहीं बताया। साथ ही, राजस्व को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करने में भी विफल रहे। इन आरोपों के चलते देवेंद्र सिंह के खिलाफ भी विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
विशेष सचिव ने जारी किए आदेश
राज्य कर विभाग के विशेष सचिव श्याम प्रकाश नारायण ने मंगलवार को इस कार्रवाई के आदेश जारी किए। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि यह कार्रवाई राजस्व की हानि और अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका के आधार पर की गई है। यह पूरा मामला विभागीय अनुशासन और जवाबदेही की कसौटी पर अधिकारियों की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।