Bareilly Dead Body Scam: उत्तर प्रदेश (Utta Pradesh) के बरेली (Bareilly) से एक शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसने सरकारी सिस्टम की संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। जिले में तैनात पुलिस कांस्टेबल और पोस्टमार्टम हाउस (Postmortem House) के एक कर्मचारी ने मिलकर लावारिस शवों का सौदा करना शुरू कर दिया। मेडिकल कॉलेजों को पढ़ाई के लिए ये शव 40 हजार से डेढ़ लाख रुपये में बेचे जाते थे। यह सारा खेल नियमों को ताक पर रखकर चल रहा था, जहां इंसान की मौत को भी मुनाफे का जरिया बना दिया गया।
वायरल वीडियो से हुआ खुलासा
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो-वीडियो ने इस घिनौने खेल का पर्दाफाश किया। वीडियो में पोस्टमार्टम हाउस का कर्मचारी सुनील सौदेबाजी करते साफ नजर आ रहा है, जबकि पुलिस कांस्टेबल नरेंद्र प्रताप इस धंधे में सहयोग करता दिखाई दिया। वीडियो सामने आते ही एसएसपी अनुराग आर्य ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया, वहीं सीएमओ ने सुनील को हटा दिया।
कागजों में अंतिम संस्कार, असल में बिक्री
जांच में सामने आया है कि लावारिस शवों का 72 घंटे के अंदर अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए, लेकिन ये शव मेडिकल कॉलेजों को बेच दिए जाते थे। कागजों में फर्जी दस्तावेज बनाकर अंतिम संस्कार दिखाया जाता और सरकारी अनुदान भी हड़प लिया जाता था। यानी एक ही लाश से दोहरा फायदा उठाया जा रहा था,गैरकानूनी बिक्री और सरकारी पैसे की लूट।
संयुक्त जांच टीम करेगी पूरी पड़ताल
इस गंभीर मामले की तह तक जाने के लिए संयुक्त जांच टीम का गठन किया गया है, जिसमें पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। एसपी सिटी मानुष पारीक, सीओ एलआईयू और डिप्टी सीएमओ इस टीम का हिस्सा हैं। उन्हें तय समय में पूरी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है, ताकि दोषियों को सख्त सजा दी जा सके और इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके।
जिम्मेदार कौन?
यह मामला सिर्फ दो कर्मचारियों की करतूत नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही और भ्रष्टाचार की गवाही देता है। सवाल उठता है कि इतने लंबे समय से चल रहे इस अवैध कारोबार की भनक अधिकारियों को क्यों नहीं लगी? क्या इसके पीछे ऊपरी स्तर पर मिलीभगत है? यह घटना न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि मानवीय मूल्यों की भी हत्या है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।