त्योहारों से पहले कानपुर (Kanpur) में हुए विवाद ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के दौरान सैयद नगर, कानपुर में लगाए गए ‘I Love Muhammad’ पोस्टर को लेकर शुरू हुआ विवाद अब महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई शहरों तक फैल गया है। बरेली में घरों के बाहर पोस्टर लगे। जिस पर हिन्दू पक्ष के लोगों ने आपत्ति जताई है। वही नागपुर में जुलूस निकले और गोधरा में पुलिस स्टेशन पर भी प्रदर्शनकारियों ने हमला किया। वही कानपुर में इस टकराव के बाद 9 सितंबर को रावतपुर थाने में 9 नामजद और 15 अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज की गई।
उग्र नारे और नाबालिगों की भागीदारी
उन्नाव और उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में हुए प्रदर्शन में नाबालिग बच्चे भी शामिल थे। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में 10-15 साल के बच्चे ‘सर तन से जुदा’ जैसे उग्र नारे लगाते दिखे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं हुईं। पुलिस ने कई मामलों में FIR दर्ज की और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया।
सोशल मीडिया अफवाहों ने बढ़ाया तनाव
विवाद तब और बढ़ा जब सोशल मीडिया पर अफवाह फैली कि योगी सरकार ने ‘I Love Muhammad’ पोस्टर लगाने पर FIR दर्ज करवाई। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसका विरोध किया। लेकिन कानपुर पुलिस ने स्पष्ट किया कि FIR पोस्टर लगाने पर नहीं बल्कि सड़क पर टेंट लगाने और साम्प्रदायिक तनाव फैलाने पर दर्ज की गई थी।
सार्वजनिक जगह पर पोस्टर लगाना है गैरकानूनी
कानपुर में विवादित पोस्टर और टेंट बिना अनुमति लगाए गए थे। भारत में सार्वजनिक जगहों पर पोस्टर-बैनर लगाने के लिए अनुमति जरूरी है। पुलिस का कहना है कि इस आंदोलन ने लोगों को गुमराह किया और कानून का उल्लंघन हुआ। जबकि कुछ नेताओं ने इसे धार्मिक दमन बताया, पुलिस इसे एक गलतफहमी और कानून के उल्लंघन के रूप में देख रही है।
देशभर में विरोध प्रदर्शन और सुरक्षा चुनौती
कानपुर घटना के बाद देशभर में 20-30 शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। कई स्थानों पर हिंसा और पुलिस पर हमला हुआ। इस विवाद ने साम्प्रदायिक सौहार्द को खतरे में डाल दिया है और सुरक्षा बलों की सतर्कता बढ़ा दी है।