AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने एक बार फिर ‘आई लव मोहम्मद’ (I Love Mohamad) के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि इस देश में कोई भी खुले तौर पर ‘आई लव मोदी’ (I Love Modi) कह सकता है और उस पर मीडिया भी खुश हो जाती है, लेकिन जैसे ही कोई ‘आई लव मोहम्मद’ कहता है तो उसका विरोध होने लगता है। ओवैसी ने सवाल उठाया कि आखिर देश को किस दिशा में ले जाया जा रहा है? उन्होंने कहा, अगर मैं मुसलमान हूं तो यह मोहम्मद की वजह से है। उन 17 करोड़ भारतीय मुसलमानों ने भी आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया, इसे भुलाया नहीं जा सकता।
पुलिस की जवाबदेही पर उठाए सवाल
ओवैसी ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि कई वीडियो में पुलिस लाठीचार्ज करती नजर आती है और दुकानदार उन पर फूल बरसाते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस केवल सत्ता में बैठे लोगों के प्रति जवाबदेह है, जनता के प्रति नहीं। सत्ता बदलने पर यही पुलिस आम लोगों पर अत्याचार कर सकती है। उन्होंने कहा कि अगर मोहम्मद का नाम और पोस्टर इस्तेमाल किए जाते हैं तो उनका सम्मान भी करना होगा।
कानून मकड़ी का जाला: ओवैसी
ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों को धैर्य और कानून के दायरे में रहकर संघर्ष करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि कानून को हाथ में लेने की गलती न करें। उनकी नजर में कानून महज एक मकड़ी का जाला है, जो सत्ता के मुताबिक काम करता है। उन्होंने असम में 3000 मुसलमानों को बेघर किए जाने का मुद्दा भी उठाया और आरोप लगाया कि सरकारी जमीन के नाम पर उन्हें उजाड़ा गया।
आरएसएस और आजादी आंदोलन पर निशाना
ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आरएसएस की भूमिका की सराहना वाली टिप्पणी पर पलटवार किया। उन्होंने दावा किया कि संघ की स्थापना के बाद उसके किसी भी सदस्य ने स्वतंत्रता संग्राम में जान की आहुति नहीं दी और न ही जेल गया। ओवैसी ने आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने 1930 के दांडी मार्च में हिस्सा जरूर लिया और जेल भी गए, लेकिन उनका उद्देश्य बाद में स्वतंत्रता सेनानियों को संघ में शामिल कराना था।