बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने अखिलेश पर घोर जातिवादी और द्वेषपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा और कांग्रेस (Congress) जैसी पार्टियां बसपा संस्थापक मान्यवर कांशीराम के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही हैं। मायावती ने कहा, अखिलेश यादव का कांशीराम जी की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का ऐलान ‘मुंह में राम, बगल में छुरी’ वाली कहावत को चरितार्थ करता है।
कांशीराम के नाम पर राजनीति का आरोप
देश में जातिवादी व्यवस्था के शिकार करोड़ों दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े बहुजनों को शोषित से शासक वर्ग बनाने के बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के मिशनरी आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के कारवाँ को ज़िन्दा करके उसे नई गति प्रदान करने वाले बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) के जन्मदाता…
— Mayawati (@Mayawati) October 7, 2025
मायावती ने एक्स पर लिखा कि सपा ने न केवल कांशीराम जी के जीवनकाल में उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की थी, बल्कि बसपा सरकार द्वारा 2008 में बनाए गए ‘कांशीराम नगर’ जिले का नाम भी बदल दिया। उन्होंने इसे सपा की ‘जातिवादी सोच’और ‘राजनीतिक द्वेष’का उदाहरण बताया। मायावती ने कहा कि यह सब सपा की दलित विरोधी मानसिकता को उजागर करता है।
दलित वोट बैंक पर सियासी नजरें
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मायावती की यह नाराजगी दलित वोट बैंक को लेकर भी है। 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा आज विधानसभा में सिर्फ एक विधायक तक सीमित है, जबकि लोकसभा में उसका कोई प्रतिनिधि नहीं है। इसके बावजूद मायावती को भरोसा है कि दलित समाज अभी भी उनके साथ है। वहीं, सपा द्वारा कांशीराम की पुण्यतिथि पर आयोजन किए जाने से बसपा को यह डर सता रहा है कि दलित मतदाता कहीं सपा की ओर न झुक जाएं।
नाम बदलने पर भी उठाए सवाल
बसपा प्रमुख ने सपा सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि बसपा शासनकाल में कांशीराम के नाम पर बने विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अस्पतालों के नाम सपा ने बदल दिए। मायावती ने कहा, अगर यह दलित विरोधी चाल, चरित्र और चेहरा नहीं है तो फिर क्या है? उन्होंने सपा के इस रवैये को ‘घोर अवसरवादी राजनीति’ बताया ।
कांशीराम की पुण्यतिथि पर बसपा की रैली
मायावती ने यह भी याद दिलाया कि कांशीराम के निधन के समय न तो सपा की प्रदेश सरकार और न ही केंद्र की कांग्रेस सरकार ने शोक दिवस घोषित किया था। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां समय-समय पर कांशीराम जी को केवल वोटों के लिए याद करती हैं। बसपा प्रमुख ने जनता से अपील की कि वे ऐसे’दिखावे वाले’दलों से सतर्क रहें। उल्लेखनीय है कि बसपा नौ अक्टूबर को लखनऊ में कांशीराम की पुण्यतिथि पर पांच साल बाद एक बड़ी रैली आयोजित करने जा रही है, जिसे पार्टी के लिए राजनीतिक पुनरुत्थान की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।