देवरिया के मौजा मेहड़ा में कथित वक्फ मजार/कब्रिस्तान मामले में प्रशासन ने निर्णायक कदम उठाया है। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ को पत्र भेजते हुए रजिस्टर दफा-37 में दर्ज वक्फ इंद्राज को हटाने और राजस्व अभिलेखों में संशोधन कराने के निर्देश दिए हैं। यह कार्रवाई न्यायालय द्वारा दर्ज इंद्राज को फर्जी पाए जाने के बाद की गई है।
न्यायालय ने करार दिया फर्जी इंद्राज
अपर उपजिलाधिकारी प्रथम, गोरखपुर मंडल ने वाद संख्या 22488/2025 में स्पष्ट किया कि खतौनी 1399 फसली में गाटा संख्या 1647/2 मिन्हा (0.124 हे.) “बंजर” भूमि के रूप में दर्ज थी। लेकिन वर्ष 1992 में कूट-रचित तरीके से इसे वक्फ मजार/कब्रिस्तान के नाम पर चढ़ाया गया था। अदालत ने इसे अवैध घोषित कर भूमि को मूल स्थिति में बहाल करने का निर्देश दिया।
विधायक शलभ मणि त्रिपाठी की प्रतिक्रिया
देवरिया सदर विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी ने इसे बड़ा प्रशासनिक खुलासा बताते हुए कहा कि निष्पक्ष जांच के बाद अब जिला प्रशासन के हाथ पूरी तरह खुल गए हैं। उन्होंने संकेत दिया कि यदि विवादित भूमि पर अवैध निर्माण पाया गया, तो बुलडोजर कार्रवाई की संभावना बेहद मजबूत है। उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया।
वक्फ बोर्ड को भेजा गया विस्तृत पत्र
जिलाधिकारी ने अपने आधिकारिक पत्र में रजिस्टर दफा-37 के क्रमांक 19 पर दर्ज वक्फ मजार/कब्रिस्तान को विलोपित कर सही अभिलेख दर्ज करने के निर्देश दिए। यह आदेश उपजिलाधिकारी सदर के पत्र संख्या 1171 (1) के आधार पर जारी किया गया, जिसमें न्यायालय के आदेश की प्रति संलग्न थी।
प्रमुख अधिकारियों को भेजी गई प्रतिलिपि
इस मामले की प्रतिलिपि कई महत्वपूर्ण विभागों और व्यक्तियों को भेजी गई है, जिनमें विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी, सर्वे आयुक्त वक्फ लखनऊ, निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण, अपर जिलाधिकारी (वि/रा), उपजिलाधिकारी सदर, सहायक सर्वे आयुक्त वक्फ और मुतवल्ली राशिद खाँ शामिल हैं। प्रशासनिक स्तर पर आगे की प्रवर्तन कार्रवाई का रास्ता अब पूरी तरह साफ माना जा रहा है।
















































