आज कल के समय में हर उम्र के लोग रील वीडियो बनाना बेहद पसंद करते हैं। क्योंकि इससे फेमस होने के चांसेज होते हैं। लोग फिल्मी गानों और डायलॉग्स पर एक्ट करके वीडियो पोस्ट करते हैं। पर बात तब बिगड़ जाती है जब वर्दी की गरिमा का हनन करते हुए पुलिसकर्मी वीडियो बनाते हैं। हाल ही में कई ऐसे पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की गई थी कि जो वर्दी में वीडियो बनाकर पोस्ट कर रहे थे। नियमों के मुताबिक इस तरह की हरकत अनुशासनहीनता कहलाती है। ऐसे में अब बरेली जिले के एडीजी ने एक आदेश पत्र जारी किया है। जिसमे उन्होंने पुलिसकर्मियों के लिए कुछ नियम जारी किए हैं।
ये हैं निर्देश
बरेली जोन के एडीजी राजकुमार ने एक लेटर जारी करते हुए कहा है कि सोशल मीडिया पर एक सामान्य नागरिक के रूप में की गई अभिव्यक्ति में उनके द्वारा यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि उक्त विचार उनके निजी विचार हैं। एवं इससे उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग का कोई सरोकार नहीं है।
सोशल मीडिया पर वर्दी में रील्स / वीडियो बनाकर वायरल करने से पुलिस बल का सदस्य होते हुए पुलिस विभाग की छवि धूमिल होती है। अत: इस प्रकार वर्दी में किसी भी पुलिस कर्मी द्वारा सोशल मीडिया पर वीडियो आदि वायरल न की जाए।
सोशल मीडिया पर पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा किसी भी राजनैतिक दल, राजनैतिक व्यक्ति एवं राजनैतिक विचारधार के संबंध में कोई टिप्पणी न की जाए।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पुलिस कर्मी वर्दी उससे जुड़ी हुई अन्य वस्तु हथियार या हथियार प्रदर्शित करती हुई तस्वीर पोस्ट नहीं करेंगे। यदि अपनी फोटोग्राफ यूनिफार्म में डाल रहे है, तो यह ध्यान रखें कि वर्दी समुचित एवं पूरी हो।
पुलिस कर्मी सोशल मीडिया पर अश्लील भाषा का प्रयोग या अश्लील तस्वीर पोस्ट नहीं करेंगे। पुलिस कर्मी सोशल मीडिया पोस्ट में किसी जाति, धर्म, वर्ग, सम्प्रदाय, व्यवसाय, लिंग, क्षेत्र, राज्य इत्यादि के संबंध में प्रर्वग्रह या दुराग्रह से ग्रसित कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
सोशल मीडिया पर कोई भी पुलिस कर्मी इस प्रकार की पोस्ट अथवा सामग्री इत्यादी साझा नहीं करेंगे, जिससे की संगठन में असंतोष की भावना आदि का प्रचार-प्रसार हो। पुलिस कर्मी सरकार या उसकी नीतियों कार्यक्रमों या किसी राजनेता के संबंध में कोई टिप्पणी न करें।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण प्रकरणों में सोशल मीडिया पर कोई टिप्पणी न की जाए। सोशल मीडिया पर माननीय न्यायालय के किसी दिशा निर्देश का उल्लंघन न किया जाए। और न ही किसी प्रकार से माननीय न्यायालय की अवमानना की जाएगी।
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