उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती (Shravasti) जिले में बाल विवाह की सूचना देने वाले शख्स को दो हजार रुपये का पुरुस्कार दिया जाएगा। इसके साथ ही उसे प्रशंसा पत्र भी दिया जाएगा। इस बात की जानकारी बाकायदा जिलाधिकारी ने दी है। दरअसल, श्रावस्ती जिले में प्रदेश के अन्य जनपदों की अपेक्षा मातृ और शिशु मृत्यु दर की संख्या बहुत अधिक है, जिसका मुख्य कारण है कम उम्र में लड़कियों की शादी होना। बाल विवाह होने से लड़कियों के सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि कम उम्र में लड़कियों की शादी होने से वे कम उम्र में ही माँ बन जाती हैं जिसकी वजह से उनकी सेहत के साथ-साथ उनके होने वाले बच्चे की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
18 साल से कम उम्र में शादी होने से गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान स्वास्थ्य सम्बन्धी कई कठिनाइयां आ जाती हैं। इससे मां के साथ नवजात के जान जाने का भी खतरा होता है। बाल विवाह के कारण लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढ़ने की भी प्रबल सम्भावना रहती है।
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इसलिए जिलाधिकारी यशु रस्तोगी ने जिलावासियों से अपील की है कि बाल विवाह को रोकने में जनपदवासी अपना सहयोग प्रदान करें और वे स्वयं तथा पास-पड़ोस, गली-मोहल्लों एवं गाँवों में यदि कोई अपनी बेटी का बाल विवाह करता है तो उसकी सूचना अवश्य दें। अब बाल विवाह की सूचना देने वाले व्यक्तियों को 2000 रूपये का पुरूस्कार दिया जायेगा और उनका नाम भी गोपनीय रखा जायेगा। इसके साथ ही उन्हें प्रशंसा पत्र भी दिया जायेगा।
बता दें कि जिलाधिकारी यशु रुस्तगी बाल विवाह की रोक थाम के लिए कलेक्ट्रेट सभागार में ब्लॉक टास्क फोर्स बैठक की अध्यक्षता कर रही थी। इस दौरान जिलाधिकारी ने बाल विवाह जैसे कुप्रथा को रोकने के लिए जनपद वासियों से अपील की। इसके साथ ही उन्होने ग्राम प्रधानों, सभासदों, बुद्वजीवीगणों, धर्मगुरूओं एवं जिले में आवासित जनमानस से इस कुरीति को रोकने में बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभाकर सहयोग करने की अपील की, ताकि इस कुरीति को रोककर बेटियों के भविष्य को संवारा जा सके।
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उन्होंने बैठक में उपस्थित अधिकारियों से कहा कि बाल विवाह को हम सभी को रोकना चाहिए। कम उम्र में मां बनने से लड़कियों के सेहत पर बुरा असर पड़ता है। उनके शरीर में बहुत से पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। कम उम्र में मां बनने से होने वाले बच्चे कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। और मातृ मृत्यु दर की संभावना बहुत अधिक होती है।
देश में विवाह के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष निश्चित की गई है। वहीं बाल विवाह होने का मुख्य कारण अशिक्षा, जनसंख्या वृद्धि भी है। सबसे पहले लोगों को बाल विवाह से होने वाले खतरों के बारे में जागरूक करें। गांव में यदि विवाह होता है तो ग्राम सचिव विवाह का पंजीकरण जरूर करें इसके साथ ही उम्र का विशेष ध्यान रखें।
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बैठक में उपस्थित मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देश दिया कि आशा, ए0एन0एम0, आगंनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा इसका ध्यान रखा जाए कि उनके क्षेत्र व गांव में किसी भी दशा में बाल विवाह न होने पाए। अगर बाल विवाह की जानकारी होती है तो प्रशासन को तत्काल अवगत करावें, यदि इनके द्वारा अवगत नही कराया जायेगा तो उनके खिलाफ कार्यवाही भी सुनिश्चित की जायेगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि यदि किसी भी व्यक्ति या छात्र द्वारा बाल विवाह की सूचना दी जाती है तो उसकी पहचान गुप्त रखी जायेगी। सूचना सत्य पाई जाती है तो उसको 2000 रुपये का नगद पुरूस्कार दिया जायेगा। तथा बाल विवाह रोकने हेतु प्रयासरत संस्थाओं व व्यक्तियों को प्रशस्ति पत्र भी दिया जायेगा।
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