इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सैकड़ों वकीलों ने हाईकोर्ट के गेट नंबर-3 पर प्रदर्शन किया और अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने भी खुलकर इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है।
जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के लगे आरोप
दरअसल, बीते दिनों दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास में आग लगने की घटना के बाद करोड़ों रुपये के जलने की खबर सामने आई थी। इसी के बाद जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे। इस बीच खबर आई कि उनका तबादला दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट किया जा रहा है, जिसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों ने कड़ा विरोध जताया है।
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वकीलों का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे किसी भी जज को इलाहाबाद हाईकोर्ट में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने साफ कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई ‘कूड़ाघर’ नहीं है कि यहां ऐसे जजों को भेजा जाए जिन पर गंभीर आरोप हों।
बार एसोसिएशन का सख्त रुख
सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कार्यकारिणी की इमरजेंसी बैठक बुलाई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले के विरोध का निर्णय लिया गया। तिवारी ने कहा कि देशभर की 22 हाईकोर्ट बार एसोसिएशनों को समर्थन पत्र भेजा गया है। उन्होंने कहा, ‘हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं बल्कि भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मेहनती और ईमानदार जज हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपियों को यहां भेजना उनकी छवि खराब करने जैसा है।’
आरोपों के बाद क्या बोले जस्टिस यशवंत वर्मा?
इस पूरे मामले पर जस्टिस यशवंत वर्मा ने सफाई दी है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय को लिखे पत्र में कहा कि उनके आवास पर आग लगने के दौरान वहां मौजूद कर्मचारियों ने कोई नकदी नहीं देखी थी।
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जस्टिस वर्मा ने कहा, ‘आधी रात के समय जब आग लगी, तो मेरी बेटी और मेरे निजी सचिव ने फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी थी। आग बुझाने के दौरान सभी कर्मचारियों और मेरे परिवार के सदस्यों को सुरक्षा के मद्देनजर घटनास्थल से दूर कर दिया गया था। जब आग बुझने के बाद वे लौटे, तो मौके पर कोई नकदी नहीं थी।’
सीबीआई जांच और महाभियोग की मांग
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपनी जनरल बॉडी मीटिंग में 11 प्रस्ताव पारित किए, जिनमें प्रमुख मांग यह है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराई जाए। साथ ही एसोसिएशन ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की भी मांग की है। बार एसोसिएशन का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वकीलों का विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
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