‘अदालत न तो मंदिर, न ही जज भगवान’… CJI का नाम लेकर वकीलों ने ‘माई लॉर्ड’ कहने से किया इंकार, जानें पूरा मामला

प्रयागराज: इलाहबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) के वकीलों ने जज को माई लार्ड कहने को लेकर बगावत शुरू कर दी है. जजों के लिए संबोधन शब्द को लेकर वकीलों रिजोल्यूशन पास किया है, जिसके मुताबिक अब माई लॉर्ड या योर लॉर्डशिप की जगह यो ऑनर या फिर माननीय कहा जाएगा. रिजोल्यूशन के मुताबिक जज कोई भगवान नहीं है, इसीलिए इन्हें माई लॉर्ड या योर लॉर्डशिप कहना उचित नहीं है.

अपने प्रस्ताव में बार एसोसिएशन ने भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के हालिया बयान का हवाला भी दिया. जिसमें जीजेआई ने अदालतों को न्याय का मंदिर कहे जाने पर आपत्ति जताई थी और कहा थि जजों द्वारा स्वयं को उन मंदिरों के देवता समझ लेना एक गंभीर खतरा है.

दरअसल, बार एसोसिएशन ने अपनी मांगों को लेकर बैठक की और मुख्य न्यायाधीश समेत वरिष्ठ न्यायाधीशो के समक्ष अपनी बात रखी. हालांकि जजों और बार एसोसिएशन के बीच यह बातचीत किसी नतीजे तक नहीं पहुंची और विफल हो गई. ऐसे में अब हड़ता जज बनाम वकील बनती नजर आ रही है.

वकीलों का कहना है कि जजों के व्यवहार व मनमानी सुनवाई प्रक्रिया के खिलाफ बार एसोसिएशन लामबंद हो गया है. इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा कि जज भगवान बनने से पीछे हटे और आम इंसान बनकर न्याय करें.

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि बार एसोसिएशन ने फैसला लिया है कि वकील जजों को ‘माय लॉर्ड’ न कहकर बल्कि सर कहकर संबोधित करें. इसको लेकर बार काउंसिल की तरफ से एक प्रस्ताव भी पास कर दिया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने यह भी कहा कि 2 दिन से इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकील बहिष्कार कर रहे हैं. इसके चलते बार सरकारी और प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले वकीलों पर सख्त हो गया है.

बता दें कि जज को योर ऑनर या माई लॉर्ड कहकर संबोधित करने की बहस कोई नई नहीं है, इससे पहले भी इस पर सवाल उठाए जा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के जज पीएस नरसिम्हा से लेकर कई जज माई लॉर्ड और योर ऑनर शब्दों को लेकर ऐतराज जता चुके हैं, उन्होंने इसकी जगह ‘सर’ शब्द के इस्तेमाल करने की सलाह दी.

कहा गया कि था कि ये औपनिवेशिक काल का चलन है, जिसको अभी भी प्रैक्टिस में रखा जा रहा है. साल 2016 में भी बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से यह प्रस्ताव पारित किया जा चुका है कि माई लॉर्ड टर्म का इस्तेमाल न किया जाए. सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट के कई जज यह कह चुके हैं कि उनको माई लॉर्ड कहकर न बुलाया जाए.

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