इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त रुख: फर्जी दस्तावेजों पर शादी से बढ़ रहे मानव तस्करी-यौन शोषण के मामले, FIR दर्ज करने के आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे होने वाली शादियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे मानव तस्करी, यौन शोषण और जबरन श्रम जैसे अपराधों को बढ़ावा देने वाला बताया है। कोर्ट ने विभिन्न जिलों के पुलिस अधिकारियों को ऐसे मामलों की गहन जांच कर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।

फर्जी दस्तावेज मुहैया कराने वाले गिरोह की करें जांच

यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने परिवार की इच्छा के विरुद्ध शादी करने वाले फिरोजाबाद, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मैनपुरी और अलीगढ़ के जोड़ों द्वारा सुरक्षा की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने इन जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराने वाले गिरोह की जांच करें और उनके खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर अगली सुनवाई में अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें।

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इससे पहले, हाईकोर्ट ने याचियों के दस्तावेजों के सत्यापन के लिए रिपोर्ट तलब की थी। राज्य की ओर से पेश रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि याचिकाओं में प्रस्तुत विवाह प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, आयु प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेज फर्जी हैं। इसके अलावा, कई मामलों में लड़कियों की उम्र केवल 12 से 14 वर्ष पाई गई, जबकि याचिकाओं में गलत नाम और पते दर्ज किए गए थे।

जिला अदालतों के आसपास दलालों का संगठित गिरोह सक्रिय

सरकार की रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायालय युवाओं के स्वतंत्र निर्णय का समर्थन करता है, लेकिन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सुरक्षा की मांग करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने कहा कि जिला अदालतों के आसपास धार्मिक ट्रस्टों के नाम पर दलालों का संगठित गिरोह सक्रिय है, जिसमें कुछ कानूनी पेशेवर और पुरोहित भी शामिल हैं, जो फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में भूमिका निभाते हैं।

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समाज और युवाओं के भविष्य के लिए गंभीर खतरा

कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थानीय पुलिस इन फर्जी दस्तावेजों के स्रोत का पता लगाने में असफल रही है, जिससे ऐसे जोड़े आसानी से कोर्ट से सुरक्षा आदेश हासिल कर लेते हैं। हाईकोर्ट ने इस तरह के संगठित अपराध को समाज और युवाओं के भविष्य के लिए हानिकारक बताया। अदालत ने कहा कि ऐसे जाल में फंसने के कारण बच्चे भावनात्मक और मानसिक आघात का शिकार हो जाते हैं, जो उनके जीवन पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव डालता है।

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