देश में धर्मांतरण (Conversion) को लेकर चल रही बहस के बीच उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर (Ambedkar Nagar) जिले में एक प्रधान में ऐसा कदम उठाया है, जो अन्य जगहों के लिए उदाहरण बन सकता है। प्रधान ने धर्मांतरण कर चुके परिवारों के एससी-एसटी का लाभ लेने पर आपत्ति जताई है।
जानकारी के अनुसार, जलालपुर में करमिशिरपुर के प्रधान ने मुख्यमंत्री और डीएम को पत्र लिखकर ऐसे लोगों का अनुसूचित जाति प्रमाण निरस्त करने के साथ ही नया न जारी करने की मांग की है। जलालपुर दक्षिणी से पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने भी सीएम को पत्र लिखकर कार्रवाई की अपील की है।
बताया जाता है कि जलालपुर तहसील में ईसाई मिशनरियों का जाल फैला है। धर्मांतरण के लिए हर रविवार को चंगाई सभा लगाई जाती है। पिछले तीन सालों में 300 से ज्यादा परिवारों का धर्म परिवर्तन कराया जा चुका है। सबसे प्रभावित गांव कालेपुर महुअल, ठट्टा, करमिशिरपुर का नूरपुर कला, बीबीपुर इटौरी, अल्लीपुर कोड़रा, ऊसरपुर, धमरुआ, नेमपुर, हुसैनपुर, विपहन, चितौना कला, श्यामपुर, इटौरी, कुढ़ा मोहम्मदपुर करमिशिरपुर आदि हैं।
धर्मांतरण के बावजूद तमाम परिवार कागज में हिंदू ही हैं और अनुसूचित जाति को मिलने वाले फायदे ले रहे हैं। प्रधान सहित कुछ नागरिकों ने आपत्ति जताई है। करमिशिरपुर के प्रधान अशोक यादव ने डीएम और मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में बताया कि उनके यहां के पूर्णमासी, संदीप, शीला, मंशाराम, राजबहादुर, रामबोध सहित दर्जनों परिवार लंबे समय से ईसाई बने हुए हैं, ऐसे में इनका जाति प्रमाण पत्र रद किया जाए।
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भाजपा नेता और पूर्व जिला पंचायत सदस्य अरविंद पांडेय ने भी अल्लीपुर कोड़रा के रवि कुमार, कालेपुर महुवल के कमलेश, सैरपुर उमरन के माधव, माधवपुर के रामविलास व पन्नेलाल का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है और इनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने की मांग की है। बौद्ध धर्म को छोड़ हिंदू धर्म से अन्य किसी पंथ में मतांतरित होते ही अनुसूचित जाति-जनजाति के तहत मिलने वाला लाभ कानूनन स्वत: समाप्त हो जाता है। ऐसे में अगर शासन ने इन पत्रों का संज्ञान लेकर कार्रवाई की तो उक्त परिवारों को मिलने वाला आरक्षण का लाभ छिनना तय है।
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