OPINION: राजा यदि संन्यासी या संन्यासी राजा हो तो प्रजा निश्चिंत और सुखी रहती है

सच ही कहा गया है कि एक संन्यासी ही अच्छा राजा हो सकता है। प्राचीन भारत में तो ऐसे अनेक उदाहरण मिलते ही हैं। स्वातंत्रत्योत्तर भारत में भी इसके उदाहरण देखे जा सकते हैं। अधिक दूर क्यों जाएँ, उत्तरप्रदेश को ही देखें। उत्तरप्रदेश जैसे विस्तृत भूभाग एवं विशाल जनसंख्या वाले प्रदेश की जटिलताएँ और समस्याएँ कौन नहीं जानता! और विगत एक दशक से वहाँ पनपे अपराध, भयावह तुष्टिकरण, जर्जर तंत्र, राजनीति के अपराधीकरण आदि ने उसकी जो दुर्दशा कर रखी थी, वह किसी से छुपी नहीं। बाहुबलियों और शोहदों के हौसले बुलंद थे और सज्जन शक्तियाँ पस्त-विवश-भयभीत थीं। उद्योग-धंधे, कल-कारखानों के विस्तार के लिए प्रदेश में अनुकूल माहौल नहीं था। जो जमे-जमाए थे वे भी राज्य छोड़कर अन्यत्र जाने का मन बनाने लगे थे। ऐसे में योगी जी ने मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश का नेतृत्व संभाला। उनके अल्पावधि के शासन-काल में ही सुराज एवं सुशासन की आशा जगी। उनके अहर्निश परिश्रम-पुरुषार्थ एवं लोकमंगल की भावना को देखकर यह प्रतीत होता है कि एक संन्यासी यदि राज्य का मुखिया (शासक) हो तो जनता सचमुच रामराज्य की संकल्पना के साकार होने के उम्मीद सँजोने लगती है। कहा जाता है कि जीवन के आदर्श ही व्यवहार में परिलक्षित होते हैं। महान भारतवर्ष राजा राम को अपना आदर्श मानता आया है। गाँधी भी रामराज्य की बात करते थे। लोक-मन ने तपस्वी राम और राजा राम दोनों को सदा से अपने हृदय में बहुत ऊँचे आसन पर रखा। राजा राम का परिश्रमी, पुरुषार्थी, प्रजा-वत्सल स्वरूप और तपस्वी राम का त्यागी, वैरागी, निर्लोभी, जितेंद्रिय स्वरूप- निश्चित ही योगी जी को भीतर-ही-भीतर प्रेरित-प्रोत्साहित-आंदोलित करता होगा। वे राजा राम और तपस्वी राम- दोनों के पदचिह्नों के अनुसरण को अपना परम सौभाग्य मानते होंगें।


और इसीलिए प्रदेश की सत्ता सँभालते ही उन्होंने शासन-प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करते हुए सबसे पहले अपराधियों, बाहुबलियों एवं शोहदों पर नकेल कसी। उत्तरप्रदेश को अपराध-मुक्त प्रदेश बनाने की दिशा में जो-जो कठोर एवं आवश्यक कदम उठाए जाने थे, उठाया। प्रदेश में दशकों से अपराध और राजनीति की गठजोड़ से समानांतर सत्ता चलाने वालों ने योगी जी की साख़ एवं लोकप्रियता पर ग्रहण लगाने के अनेकानेक कुचक्र रचे, उनकी छवि को धूमिल एवं कलंकित करने के ख़ूब षड्यंत्र किए। पर उनके लाख प्रयासों के बावजूद योगी जी संघर्षों और आरोपों की आग में तपकर कुंदन ही बने। उनकी चमक फीकी न पड़ने पाई। उनके विरोधी भी दबे स्वर में स्वीकार करते हैं कि आज उत्तरप्रदेश में क़ानून का राज कायम हुआ है और अपराधियों में इस प्रकार का भय पैठा है कि वे या तो राज्य छोड़कर अन्यत्र चले जा रहे हैं या जेल में ही रहना पसंद करने लगे हैं। योगी जी ने अतिरिक्त प्रयासों एवं नीतिगत पहल से प्रदेश में विकास एवं निवेश को गति प्रदान की है। उत्तरप्रदेश में विकास की गाड़ी पटरी पर आने ही लगी थी कि कोविड-19 के प्रकोप और प्रसार ने संपूर्ण विश्व में त्राहिमाम मचा दिया। जिस कोविड से लड़ने में पूरी दुनिया मुख्यतया विकसित देशों की सरकारें भी हाँफती नज़र आई, उससे योगी जी और उनकी सरकार ने अद्भुत लड़ाई लड़ी। जो योद्धा होते हैं वे अपने प्राणों की बाजी लगाकर चुनौतियों को भी अवसर में परिवर्तित कर देते हैं।


योद्धा संन्यासी योगी आदित्यनाथ जी ने भी कोविड और उसकी चुनौतियों को अवसर में परिणत कर दिया और ऐसे आशातीत-आश्वस्तकारी परिणाम दिए कि पूरी दुनिया दाँतों तले ऊँगली दबाकर बस देखती रह गई! उत्तरप्रदेश जैसे विशाल एवं घनी-बड़ी आबादी वाले प्रदेश में उन्होंने जिस सक्रियता एवं मुस्तैदी से कोविड की रोक-थाम के लिए काम किया वह अद्वितीय, असाधारण, अभूतपूर्व है। कोविड के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर पल, हर कदम पर सन्नद्ध, सक्रिय और सचेष्ट दिखाई दी। तब्लीगियों पर कड़ी निगरानी एवं सख़्त कार्रवाई करने से लेकर पीपीई किट्स उपलब्ध कराने, व्यापक पैमाने पर परीक्षण कराने से लेकर संक्रमितों की विधिवत देख-भाल के लिए स्थाई-अस्थाई कोविड-केंद्र खुलवाने, संक्रमितों के दस्तावेजीकरण से लेकर उनके आइसोलेशन की व्यवस्था, प्रभावित मरीजों के लिए वेंटीलेटर्स-बेड्स से लेकर चिकित्सकीय उपकरण-उपचार आदि उपलब्ध कराने तक, शायद ही ऐसा कोई मोर्चा हो जिस पर प्रदेश की सरकार नीति, निर्णय या नीयत के स्तर पर किसी प्रकार के द्वंद्व या अनिर्णय की शिकार दिखी।


केवल प्रदेश ही क्यों, जब कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोविड से उत्पन्न विकट परिस्थितियों को अनियंत्रित होता देख अपने-अपने नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया तो योगी जी ने बड़े मन एवं उदार हृदय से उनकी भी सहायता की। सभी स्वास्थ्य एवं सुरक्षा-मानकों का पालन करते हुए दिल्ली से बिहार के लिए कूच कर रहे प्रवासी मजदूरों को राज्य की सीमा तक पहुँचाने का उन्होंने जैसा प्रबंध किया, वह उनके योग्य एवं कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ मानवीय एवं संवेदनशील होने का भी प्रत्यक्ष प्रमाण था। लॉकडाउन के दौरान कोटा में फँसे उत्तरप्रदेश एवं बिहार के विद्यार्थियों को सकुशल उनके घर पहुँचाने का उनका प्रयास भी जन-सरोकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एवं संवेदनशीलता को दर्शाता है। वे केवल कोविड के अप्रसार तक ही नहीं रुके। बल्कि इसी अवधि में उन्होंने शासन-प्रशासन के तमाम मोर्चों पर देश को राह दिखाते नज़र आए। नोएडा में देश के सबसे बड़ी फ़िल्म-सिटी के निर्माण के लिए उनकी पहल एवं प्रयास उनकी दूरदर्शिता की परिचायक है। और जिस दौर एवं परिवेश में उन्होंने ऐसी घोषणा एवं पहल की वह भी बहुत-से निहितार्थों और संदेशों को अपने भीतर समाहित किए हुए है। विश्व के सबसे बड़े हवाईअड्डे एवं विकास की अन्य परियोजनाओं पर भी उत्तरप्रदेश सरकार ने बड़ी तेजी से काम प्रारंभ किया है। एक ओर वे मोदी जी द्वारा आत्मनिर्भर भारत तथा लोकल फ़ॉर वोकल की अपील के बाद घरेलू निवेशकों को आमंत्रित करते नज़र आए तो दूसरी ओर चीन से खिन्न एवं क्षुब्ध विदेशी कंपनियों को लुभाने में भी उन्होंने कोई संकोच नहीं दिखाया। तमाम विकसित देशों की मिली-जुली संख्या से भी अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के नाते योद्धा संन्यासी योगी जी ने जिस कुशलता, तत्परता एवं निष्ठा से कोविड का मुकाबला किया है वह उन्हें कोविड-काल के महानायक-सी हैसियत प्रदान करते हैं। नीतियों, निर्णयों, कार्यों और उनके परिणामों के आधार पर योगी जी को वर्ष 2020 का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री घोषित किया जा सकता है। उन्होंने इस संकटकालीन समय के सशक्त सारथी या जागरूक प्रहरी की भूमिका का कुशल निर्वहन किया। राजा जब संन्यासी हो या संन्यासी राजा हो तो प्रजा निश्चित सुखी और निश्चिंत महसूस करती है।


(प्रणय कुमार, स्तंभ-लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता)



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