अयोध्या मामले (Ayodhya Verdict) में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मस्जिद (Masjid) के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने के फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सवाल खड़े कर दिए है. उन्होंने साफतौर पर कहा है कि हिंदुस्तान के मुस्लिमों को 5 एकड़ जमीन के लिए खैरात की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश ओवैसी ने कहा कि ऐसा फैसला अमिट नहीं है.
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि मेरी राय में 5 एकड़ जमीन नहीं लेनी चाहिए. मुस्लिम आवाम इतनी मजबूत है कि वह पूरे उत्तर प्रदेश में कहीं भी पैसा एकत्रित करके मस्जिद के लिए जमीन ले सकती है. उन्होंने कहा कि ‘हिंदुस्तान का मुसलमान इतना गया गुजरा नहीं है कि वह मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन नहीं ले सकता. हमें खैरात में कोई भी जमीन नहीं चाहिए. हम अपनी लीगल राइट के लिए लड़ रहे थे. हमें किसी से भी भीख की जरूरत नहीं है’.
ओवैसी ने कहा कि ‘मंदिर बनाने का अधिकार उन्हें दे दिया गया जिन लोगों ने 1992 में मस्जिद का ढांचा गिराया था. पर्सनल लॉ बोर्ड को जमीन लेने से इनकार कर देना चाहिए’. बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वह विवादित जमीन को मंदिर के लिए देने से जुड़े फैसले से असंतुष्ट है और इस मामले में पुर्निवचार याचिका दायर करने पर विचार किया जाएगा.
असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि ‘ये मुल्क अब हिंदूराष्ट्र के रास्ते पर जा रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अयोध्या से इसकी शुरुआत की है और एनआरसी, सिटिजन बिल से यह पूरा किया जाएगा’. ओवैसी ने कहा कि ‘आरएसएस और कांग्रेस की साजिश की वजह से बाबरी को विध्वंस किया गया और सुप्रीम कोर्ट को धोखा दिया गया था. मस्जिद के उपर कोई सौदा नहीं किया जा सकता है. मैं अपने घर का सौदा कर सकता हूं, लेकिन मगर मैं मस्जिद की जमीन का सौदा नहीं कर सकता’.
बोर्ड के सचिव एवं वकील जफरयाब जिलानी ने संवाददाताओं से कहा कि ‘फैसले के कुछ बिंदुओं खासकर जमीन देने की बात से हम अंसतुष्ट हैं. हम विचार करेंगे कि पुर्निवचार याचिका दायर करनी हैं या नहीं’. उन्होंने मस्जिद के लिए 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने को लेकर कहा कि मस्जिद की कोई कीमत नहीं हो सकती. जिलानी ने कहा कि यह मुकदमा किसी की जीत और हार नहीं है और सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए.
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