भाजपा नेता की केंद्र सरकार से मांग, मानसून सत्र में पेश हो ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ बिल

मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट सत्र 17 जून से शुरू हो चुका है. सत्र के दौरान 5 जुलाई को पूर्ण बजट भी पेश किया जायेगा. इस सत्र में मोदी सरकार तीन तलाक पर रोक और जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) सहित 10 अध्यादेशों को कानून में बदलने की तैयारी में है. इसी बीच बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay )ने केंद्र सरकार से मौजूदा सत्र में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ (Uniform Civil Code Bil) बिल लाने की मांग की है.


अश्विनी उपाध्याय ने ट्वीट करते हुए लिखा “TripleTalaqBill से केवल मुस्लिम बहन बेटियों को #TripleTalaq से ही आजादी मिलेगी जबकि #UniformCivilCodebill से देश की सभी बहन-बेटियों को समान सुरक्षा, समान अवसर, समान न्याय और एक बराबर सम्मान मिलेगा, इसलिए संसद में अब #UCC बिल पेश करना चाहिए. #UCC पर 8 जुलाई को कोर्ट में सुनवाई है”.



बता दें कि अश्विनी उपाध्याय समान नागरिक संहिता यानी कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (Unifrom Civil Code) को लागू कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुके हैं. जिसपर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. केंद्र सरकार को इस याचिका पर 8 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई से पहले नोटिस पर अपना जवाब कोर्ट को देना होगा.


याचिकाकर्ता के मुताबिक अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक देश में आपसी एकजुटता, भाईचारा और राष्ट्रीय अखंडता को बढावा देने के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना जरूरी है. उपाध्याय का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 44 में समान नागरिक आचार संहिता लागू करने की बात कही गई है, लेकिन सरकार ने उसे अभी तक नहीं बनाया है. उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई है कि वो केंद्र सरकार को निर्देश दे कि देश के नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता बनाई जाए, जिसमें सभी धर्म, जाति व संप्रदाय के लोगों को बराबरी का दर्जा दिया जाए और जो समान रूप से सब पर लागू हो.



अर्जी में यह भी सुझाया गया है कि सरकार उसे विभिन्न समुदायों के शास्त्र और रीति-रिवाजों पर आधारित बने पर्सनल लॉ के ऊपर लागू करे. यानी कि किसी भी धर्म के रीति रिवाज पर्सनल लॉ के आधार पर नहीं बल्कि समान नागरिक संहिता के आधार पर लागू हो. याचिकाकर्ता ने इसे बनाए जाने को लेकर तीन महीने के भीतर एक न्यायिक आयोग या उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने की मांग भी की है.


अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में लगाई गई अपनी जनहित याचिका में यह भी सुझाव दिया है कि उस कमेटी की जिम्मेवारी होगी कि वो देश व विकसित देशों के विभिन्न धर्म, जाति, पंथ व संप्रदायों के बेहतर धार्मिक व सामाजिक नियम-कानून के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय परंपराओं को ध्यान में रखकर समान नागरिक आचार संहिता इसके बाद सरकार उसे पूरे देश में लागू करें. याचिका में बताया गया है कि देश में एक गोवा ही राज्य है जहां वर्ष 1965 से समान नागरिक संहिता लागू है. यह नियम वहां के सभी नागरिकों पर भी लागू होता है. इससे संविधान की भावना लागू हो सकेगी.


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