हर जिले में भ्रष्टाचार निरोधक अदालतें स्थापित करने की मांग, भाजपा नेता की SC में याचिका

भ्रष्टाचार के मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए हर जिले में भ्रष्टाचार निरोधक अदालतें स्थापित करने की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है. यह याचिका बीजेपी नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने दायर की है. उपाध्याय ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो सभी हाई कोर्टों से एक वर्ष के भीतर धन शोधन, कर चोरी, भ्रष्टाचार, काला धन जैसे अपराधों से संबंधित मामलों का फैसला करने के लिए उचित कदम उठाने को निर्देशित करे.


याचिकाकर्ता के मुताबिक उन्होंने इस साल की शुरुआत में भ्रष्टाचार निगरानी सूचकांक में भारत को 80 वें स्थान पर रखने वाले भ्रष्टाचार प्रहरी ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ को देखते हुए याचिका दायर की है. इसने कहा गया कि लंबे समय तक पेंडेंसी और कमजोर भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के कारण, भारत भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में 80 वां स्थान पर है और यह भ्रष्टाचार, मौलिक अधिकारों, खुली सरकार, सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा, विनियामक प्रवर्तन और नागरिक की अनुपस्थिति और आपराधिक न्याय प्रणाली जैसे कई मोर्चों पर खराब प्रदर्शन की पुष्टि करता है.


याचिका में उपाध्याय ने कहा कि प्रत्यक्ष केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हर जिले में काले धन, बेनामी संपत्ति, अनुपातहीन संपत्ति, रिश्वत, मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी, मुनाफाखोरी, जमाखोरी, मिलावट, कालाबाजारी, मानव और नशीले पदार्थों की तस्करी, धोखाधड़ी, धोखाधड़ी, जालसाजी, बेईमानी से संपत्ति का दुरुपयोग, कॉर्पोरेट धोखाधड़ी, फोरेंसिक धोखाधड़ी, विदेशी मुद्रा और अन्य आर्थिक अपराध से संबंधित मामलों के लिए एक वर्ष के भीतर विशेष भ्रष्टाचार निरोधक अदालतें स्थापित करें.


याचिका में कहा गया कि भ्रष्टाचार का जीवन की स्वतंत्रता के अधिकार पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है, सामाजिक आर्थिक न्याय, बंधुत्व, व्यक्ति की गरिमा, एकता और राष्ट्रीय एकीकरण को बुरी तरह से प्रभावित करता है, इस प्रकार अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है.


बता दें कि बीते माह अश्विनी उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर देश में कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक कमाई को शत-प्रतिशत जब्त करने तथा भ्रष्टाचारियों को आजीवन कारावास देने की मांग उठाई है. याचिका के मुताबिक वर्तमान समय में लागू भ्रष्टाचार विरोधी कानून बहुत ही घटिया कमजोर और अप्रभावी हैं इसीलिए कालाधन बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति की समस्या खत्म नहीं हो रही है. घटिया और कमजोर कानूनों के कारण भारत करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में टॉप 50 देशों में कभी स्थान नहीं बना पाया। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल ने इस वर्ष भारत को 80 वें स्थान पर रखा है.


अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि यदि उनकी जनहित याचिका में दाखिल पांच सुझावों को ईमानदारी से लागू किया जाए तो हर साल सात लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी. उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों का इस वर्ष का कुल बजट लगभग 70 लाख करोड़ रुपये है लेकिन घूसखोरी दलाली और कमीशनखोरी के कारण कुल बजट का दस प्रतिशत अर्थात लगभग सात लाख करोड़ रुपये कालाधन बन जाएगा.


केंद्र सरकार यदि सौ रुपये से बड़े नोट तत्काल बंद करे, पांच हजार रुपये ऊपर कैश लेनदेन पर रोक लगाए, पचास हजार रुपये से महंगी संपत्ति को आधार से लिंक करे, कालाधन बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति को शतप्रतिशत जब्त करे तथा भ्रष्टाचारियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा देने के लिए कानून बनाये तो भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा और सरकार को सात लाख करोड़ रुपये की बचत होगी.


उपाध्याय ने कहा कि मौजूदा भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों में अधिकतम सजा मात्र सात साल है और यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि भ्रष्टाचारीयों की कितनी संपत्ति जब्त की जाएगी इसीलिए कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति को शत प्रतिशत जब्त करने तथा भ्रष्टाचारियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तत्काल कानून बनाना नितांत आवश्यक है. भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट से इस दिशा में सरकार को उचित निर्देश देने की मांग की है.


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