भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए प्रधानमन्त्री मोदी को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने पीएम मोदी को 25 सुझाव दिए हैं, उनका दावा है कि दिए गए सुझावों को लागू किये बिना भारत माता की जय नहीं हो सकती. भाजपा नेता ने प्रधानमंत्री से दिए गए सुझावों को लागू करने के लिए सम्बंधित मंत्रालय को आवश्यक निर्देश देने का अनुरोध किया है. अपने पत्र में अश्विनी उपाध्याय ने लिखा..
माननीय प्रधानमन्त्री जी,
आप तो जानते हैं कि जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, अशिक्षा और बेरोजगारी की समस्या, कुपोषण और भुखमरी की समस्या तथा अलगाववाद, कट्टरवाद और नक्सलवाद सहित भारत की 80% समस्याओं का मूल कारण भ्रष्टाचार और जनसँख्या विस्फोट है फिर भी भ्रष्टाचार और जनसँख्या नियंत्रण के लिए आजतक कठोर और प्रभावी कानून नहीं बनाया गया. वोटबैंक राजनीति के कारण 25% भारतीय संविधान आजतक लागू ही नहीं किया गया. अटल जी ने 22.2.2000 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वेंकटचलैया की अध्यक्षता में एक 11 सदस्यीय आयोग बनाया था और दो वर्ष तक विस्तृत विचार-विमर्श के बाद इस आयोग ने 31.3.2002 को 248 सुझाव दिया लेकिन स्पस्ट बहुमत के अभाव में अटल जी उन सुझावों को लागू नहीं कर पाये और कांग्रेस ने मनरेगा जैसे लोकलुभावन सुझावों को तो लागू किया लेकिन 80% सुझावों को छोड़ दिया. संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर, सरदार पटेल, गांधी जी, लोहिया जी और श्यामा प्रसाद जी का जन्मदिन तो प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन उनके मूल विचारों को आज तक लागू नहीं किया गया.
पिछले 20 साल का ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का करप्शन परसेप्शन इंडेक्स देखें तो 1998 में हम 66वें स्थान पर, 1999 में 72वें स्थान पर, 2000 में 69वें स्थान पर, 2001 और 2002 में 71वें स्थान पर, 2003 में 83वें स्थान पर, 2004 में 90वें स्थान पर, 2005 में 88वें स्थान पर, 2006 में 70वें स्थान पर, 2007 में 72वें स्थान पर, 2008 में 85वें स्थान पर, 2009 में 84वें स्थान पर, 2010 में 87वें स्थान पर, 2011 में 95वें स्थान पर, 2012 में 94वें स्थान पर, 2013 में 87वें स्थान पर, 2014 में 85वें स्थान पर, 2015 में 76वें स्थान पर, 2016 में 79वें स्थान पर और 2017 में 81वें स्थान पर थे! इससे स्पस्ट है कि उच्च स्तर का भ्रष्टाचार भले ही समाप्त हो गया है लेकिन मध्यम और छोटे स्तर के भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आयी है. वर्तमान समय में देश का एक भी जिला, तहसील, थाना या सरकारी विभाग भ्रष्टाचार-मुक्त नहीं है और हमारे लोकतंत्र का कोई भी स्तम्भ भ्रष्टाचार से मुक्त होने का दावा नहीं कर सकता है.
जनसँख्या और भ्रष्टाचार नियंत्रण तथा भारतीय संविधान और वेंकटचलैया आयोग के सुझावों को 100% लागू किये बिना रामराज्य अर्थात स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, साक्षर भारत, समृद्ध भारत, सबल भारत, सुरक्षित भारत, समावेशी भारत, स्वावलंबी भारत, स्वाभिमानी भारत, संवेदनशील भारत तथा अलगाववाद और अपराध- मुक्त भारत का सपना साकार नहीं हो सकता है. इसलिए मैं आपसे निवेदन है कि देशहित और जनहित में निम्नलिखित 25 सुझावों को तत्काल लागू करने के लिए संबंधित मंत्रालयों को आवश्यक निर्देश दें. इससे राष्ट्रवाद मजबूत होगा, रामराज्य का सपना साकार होगा तथा वर्तमान समय में निराश और नाराज राष्ट्रवादियों के अंदर जोश आयेगा और वे 2014 की भांति पूरी ताकत से 2019 के चुनाव में लग जायेंगे.
1. जनसँख्या विस्फोट हमारी सबसे बड़ी समस्या है. आज 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, 20% बिना आधार के हैं तथा चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या भारत में रहते हैं अर्थात हमारी जनसँख्या 130 करोड़ नहीं बल्कि 152 करोड़ है और हम चीन से आगे निकल चुके हैं. कृषि योग्य भूमि दुनिया की 2%, पीने योग्य पानी 4% और जनसँख्या दुनिया की 20%. यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है. चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं. वेंकटचलैया आयोग के 24वें सुझाव के अनुसार संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ना और चीन की तर्ज पर एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून लागू करना अति आवश्यक है.
2. लोहिया जी कहते थे कि समान शिक्षा लागू किये बिना सभी बच्चों को समान अवसर उपलब्ध कराना नामुंकिन है. पठन-पाठन का माध्यम भले ही अलग हो लेकिन पाठ्यक्रम पूरे देश में एक समान होना चाहिए लेकिन “एक देश-एक कर” की भांति “एक देश-एक शिक्षा बोर्ड” लागू करने का आजतक प्रयास ही नहीं किया गया. गरीब बच्चों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए देश के प्रत्येक विकास खंड में एक केंद्रीय विद्यालय या नवोदय स्कूल खोलना बहुत जरुरी है.
3. दीनदयाल जी धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक विभाजन के खिलाफ थेI संविधान या कानून में अल्पसंख्यक की परिभाषा नहीं है फिर भी लक्षदीप के 96% मुसलमान अल्पसंख्यक और 2% हिंदू बहुसंख्यक कहलाते हैंI धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक विभाजन समाप्त करने के लिए संविधान के आर्टिकल 25-30 में संशोधन करना बहुत जरुरी है.
4. श्यामा प्रसाद जी का सपना था- “एक देश, एक विधान और एक संविधान” लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी आर्टिकल 35A और आर्टिकल 370 तथा कश्मीर में अलग संविधान लागू है. देश की एकता-अखंडता तथा आपसी भाईचारा को मजबूत करने के लिए श्यामा प्रसाद जी का “एक देश, एक विधान और एक संविधान” का सपना तत्काल साकार करना बहुत जरुरी है.
5. बाबा साहब अंबेडकर और अधिकांश संविधान निर्माता एक समान नागरिक संहिता चाहते थे इसीलिए विस्तृत विचार-विमर्श के बाद संविधान में आर्टिकल 44 जोड़ा गया लेकिन आज भी हिंदू के लिए हिंदू मैरिज एक्ट, मुसलमान के लिए मुस्लिम मैरिज एक्ट तथा इसाई के लिए क्रिस्चियन मैरिज एक्ट लागू है. देश के एकता- अखंडता को मजबूत करने तथा महिलाओं को सम्मान और न्याय दिलाने के लिए आर्टिकल 44 को तत्काल लागू करना बहुत जरुरी है.
6. सरदार पटेल का सपना था “एक देश, एक नाम, एक निशान और एक राष्ट्रगान” लेकिन 70 साल बाद भी दो नाम (भारत और इंडिया), दो निशान (तिरंगा और कश्मीर का झंडा) और दो राष्ट्रगान (जन-गन-मन और वंदेमातरम) जारी है. संविधान या कानून में राष्ट्रगीत का कोई जिक्र नहीं है और संविधान सभा के 24.1.1950 के प्रस्ताव के अनुसार “वंदेमातरम” भी हमारा राष्ट्रगान है.
7. गांधीजी का सपना था नशा-मुक्त भारत. आर्टिकल 47 भी यही कहता है अर्थात संविधान निर्माता भी यह चाहते थे. शराब और नशे के कारण अपराध और रोड एक्सीडेंट बढ़ रहा है, बीमारी और बेरोजगारी बढ़ रही है, लाखों परिवार बर्बाद हो चुके हैं तथा महिलाओं और बच्चों की जिंदगी नर्क बन गयी है. इसलिए भारत को शराब-मुक्त और नशा-मुक्त देश घोषित करना बहुत जरुरी है.
8. आर्टिकल 51A: देश की एकता- अखंडता और आपसी भाईचारा मजबूत करने के लिए नागरिकों को अपने मौलिक कर्तव्य ज्ञान होना बहुत जरुरी है इसलिए मौलिक कर्तव्य के प्रचार-प्रसार के लिए वेंकटचलैया आयोग और जस्टिस वर्मा समिति के सुझावों को तत्काल लागू करना चाहिए.
9. वर्तमान समय में निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति के लिए राज्य स्तर पर परीक्षा का आयोजन होता है लेकिन इसके कारण प्रत्येक राज्य में जजों की क्षमता और गुणवत्ता अलग-2 होती है और न्यायिक फैसले में अंतर होता है इसलिए जजों की नियुक्ति के लिए आर्टिकल 312 के अनुसार IAS की तर्ज पर भारतीय न्यायिक सेवा (IJS) शुरू करना अतिआवश्यक है.
10. संविधान के आर्टिकल 343 के अनुसार हिंदी भारत की राजभाषा है अर्थात सभी लोकसेवकों और जनसेवकों को हिंदी का मौलिक ज्ञान होना बहुत जरुरी है इसलिए सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी का एक प्रश्न-पत्र अनिवार्य होना चाहिये. लगभग 90% भारतीय हिंदी समझते और बोलते हैं इसलिए हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करना चाहिए.
11. आजादी के 70 साल बाद भी सुप्रीम कोर्ट का सभी कार्य अंग्रेजी भाषा में ही होता है जबकि 90% भारतीय अपने दैनिक जीवन में हिंदी का उपयोग करते हैं, इसलिए आर्टिकल 348 के अनुसार एक कानून बनाकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हिंदी का प्रयोग अनिवार्य करना चाहिये.
12. संविधान के आर्टिकल 351 के अनुसार हिंदी और संस्कृत का प्रचार-प्रसार करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है इसलिए शिक्षा अधिकार कानून में संशोधन कर 6-14 साल के सभी बच्चों के लिए हिंदी और संस्कृत विषय का पठन- पाठन अनिवार्य करना चाहिए.
13. अंग्रेजों द्वारा 1860 में बनाई गयी भारतीय दंड संहिता, 1872 में बनाया गया एविडेंस एक्ट और कई अन्य कानून आजतक लागू हैं इसीलिए लोगों को बहुत देर से न्याय मिल रहा है इसलिए 25 साल से अधिक पुराने सभी कानूनों की समीक्षा करना अतिआवश्यक है. अपराधियों का नार्को पॉलीग्राफ और ब्रेनमैपिंग टेस्ट अनिवार्य करने के लिए तत्काल एक कानून बनाना चाहिये.
14. अलगाववाद और कट्टरवाद हमारी प्रमुख समस्या है इसलिए अलगाववादियों, चरमपंथियों और उनके मददगारों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए वर्तमान संसद सत्र में ही एक कठोर और प्रभावी कानून बनाना बहुत जरुरी है.
15. घुसपैठ हमारे देश की एक प्रमुख समस्या है लेकिन हमारा कानून बहुत ही कमजोर है इसलिए घुसपैठियों और उनके मददगारों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तत्काल एक कठोर और प्रभावी केंद्रीय कानून बनाने की जरुरत है.
16. राष्ट्रीय नागरिक पंजिका: भारत में रहने वाले एक करोड़ रोहिंग्या और चार करोड़ बंगलादेशी घुसपैठिये बहुत तेजी से जनसँख्या विस्फोट कर रहे हैं इसलिये असम की तर्ज पर पूरे देश में घुसपैठियों की पहचान करना चाहिए तथा उन्हें स्वदेश भेजने तक जेल में जेल में रखना चाहिए.
17. अंधविश्वास, कालाजादू और चमत्कार के सहारे बहुत ही सुनियोजित तरीके से सनातन धर्म को अलग-2 पंथों में तोड़ा जा रहा है और गरीब हिंदुओं का धर्म-परिवर्तन भी किया जा रहा है इसलिए अंधविश्वास, कालाजादू और पाखंड फ़ैलाने वालों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तत्काल एक कठोर और प्रभावी कानून बनाना चाहिए.
18. धर्मांतरण द्वारा भारत विरोधी शक्तियां हिंदुओं को अल्पसंख्यक बना रही हैं. लक्षदीप और मिजोरम में हिंदू अब 2%, नागालैंड में 8%, मेघालय में 11%, कश्मीर में 28%, अरुणाचल में 29% और मणिपुर में 30% बचे हैं इसलिए धर्मांतरण कराने वालों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तत्काल एक कानून बनाना चाहिए.
19. अलगाववाद और कट्टरवाद की फंडिंग हवाला के जरिये कैश में होती हैं इसलिए इसे जड़ से समाप्त करने के लिए 100 रुपये से बड़े नोट तत्काल बंद करना चाहिए और 10 हजार रुपये से महँगी वस्तुओं के कैश लेन-देन पर तत्काल प्रतिबंध लगा देना चाहिए.
20. घूसखोरी, कमीशनखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी और कालाबाजारी को समाप्त करने के लिए एक लाख रूपये से महंगी वस्तुओं और संपत्तियों को आधार से लिंक करना चाहिए तथा बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति के मालिकों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तत्काल एक कठोर और प्रभावी कानून बनाना चाहिए .
21. जबतक हवाला कारोबारियों, नशे के तस्करों तथा मानव तस्करों और इनके मददगारों की 100% संपत्ति जब्त कर आजीवन कारावास नहीं दिया जायेगा तब तक इन समस्याओं पर नियंत्रण असंभव है इसलिए संसद के वर्तमान सत्र में ही इन कानूनों में संशोधन करना चाहिए.
22. चुनाव सुधार: विधि आयोग और चुनाव आयोग के सुझावों को लागू करना, दागियों के चुनाव लड़ने, पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाना तथा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण करना बहुत जरुरी है.
23. पुलिस सुधार: अंग्रेजों द्वारा 1860 में बनाये गए पुलिस एक्ट को समाप्त कर सोराबजी समिति द्वारा 2006 में बनाया गया मॉडल पुलिस एक्ट लागू करना अति आवश्यक है.
24. अंतराष्ट्रीय रैंकिंग: किसी भी अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत शीर्ष 10 देशों में शामिल नहीं है इसलिए रैंकिंग को सुधारने के लिए संबंधित मंत्रालयों में एक टास्क का गठन करना चाहिए.
25. अयोध्या काशी मथुरा: यदि बातचीत के माध्यम से अयोध्या, काशी और मथुरा विवाद का समाधान नहीं हो रहा है तो इनके समाधान के लिए तत्काल एक कानून बनाना चाहिए.
इन 25 सुझावों को लागू किये बिना भारत माता की जय नहीं हो सकती है इसलिए आपसे विनम्र निवेदन है कि इन सुझावों को लागू करने के लिए संबंधित मंत्रालयों को आवश्यक निर्देश दें.
बता दें कि अश्विनी उपाध्याय ने समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता, तीन तलाक, बहुविवाह, हलाला, मुताह, शरिया अदालत, आर्टिकल 35A, आर्टिकल 370, जनसंख्या नियंत्रण तथा चुनाव सुधार, प्रशासनिक सुधार, पुलिस सुधार, न्यायिक सुधार और शिक्षा सुधार पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 50 से अधिक जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं. इन्हें भारत का ‘पीआईएल मैन’ भी कहा जाता है.
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