औरंगजेब की कब्र विवाद: मुख्यमंत्री फडणवीस बोले – कानून के दायरे में होगा निर्णय

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने औरंगजेब की कब्र को लेकर उठ रहे विवाद पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कब्र को हटाने का फैसला केवल सरकार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का मुद्दा है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कब्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है, जिसे कांग्रेस शासनकाल में संरक्षित किया गया था। इसलिए किसी भी बदलाव के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा।

फडणवीस ने कहा कि जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता और जो भी कदम उठाए जाएंगे, वे कानून के तहत होंगे। उन्होंने यह बयान श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के 350वें शहीदी वर्ष के अवसर पर आयोजित ‘गुरमत समागम’ कार्यक्रम में दिया।

 

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हाल ही में हिंदू जनजागृति समिति द्वारा दायर एक RTI में खुलासा हुआ कि 2011 से 2023 के बीच औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर लगभग 6.5 लाख रुपये खर्च किए गए हैं, जबकि सिंधुदुर्ग किले पर स्थित राज राजेश्वर मंदिर के रखरखाव के लिए सालाना केवल 6,000 रुपये दिए गए। इस खुलासे के बाद कई संगठनों ने कब्र को हटाने की मांग की है।

 

BJP नेता नवनीत राणा ने भी कब्र को ढहाने की मांग की थी। वहीं, SP विधायक अबू आसिम आजमी ने औरंगजेब को एक सफल शासक बताते हुए बयान दिया, जिससे विवाद और भड़क गया। हालांकि, आलोचना के बाद आजमी ने अपने बयान पर माफी मांग ली।

 

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शिवाजी महाराज के 13वें वंशज और BJP सांसद उदयनराजे भोसले ने कब्र गिराने की मांग की। उन्होंने कहा कि जो लोग औरंगजेब की कब्र पर श्रद्धांजलि देने जाते हैं, वे उसे अपने घर ले जा सकते हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से औरंगजेब के महिमामंडन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 

औरंगजेब की कब्र छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) के खुलदाबाद में स्थित है। यह एक अचिन्हित कब्र है, जो ASI के नियंत्रण में आती है। ऐतिहासिक रूप से यह माना जाता है कि औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज को क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित कर मरवा दिया था, जिसके कारण मराठा समाज में औरंगजेब के प्रति आक्रोश बना हुआ है।मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर भावनाओं के बजाय कानून के तहत निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल इस मामले में सरकार द्वारा कोई त्वरित निर्णय नहीं लिया जाएगा।

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