उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली (Bareilly) से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसने पुलिस महकमे में चर्चा छेड़ दी है। जिस हेड कांस्टेबल को तत्कालीन आईजी डॉ. राकेश सिंह ने छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट के मामले में नौकरी से बर्खास्त किया था, उसे उनकी ही बेटी ने हाईकोर्ट में पैरवी कर वापस सेवा में बहाल करा दिया।
ट्रेन में छात्रा से छेड़छाड़ का आरोप
जनवरी 2023 में पीलीभीत की एक छात्रा त्रिवेणी एक्सप्रेस से प्रयागराज से लौट रही थी। आरोप है कि बरेली जंक्शन से चढ़े जीआरपी हेड कांस्टेबल तौफीक अहमद ने छात्रा से छेड़छाड़ की और विरोध करने पर उसका सामान ट्रेन से नीचे फेंक दिया। इस मामले में तौफीक अहमद के खिलाफ छेड़छाड़, पॉक्सो और बाद में एससी/एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। गिरफ्तारी के बाद उन्हें जेल भेजा गया।
विभागीय जांच के बाद बर्खास्तगी
घटना की विभागीय जांच में तौफीक अहमद को दोषी पाया गया। इसके बाद तत्कालीन आईजी डॉ. राकेश सिंह ने कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया। इसी बर्खास्तगी को चुनौती देने के लिए तौफीक अहमद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और वकील के रूप में आईजी की बेटी अनुरा सिंह को नियुक्त किया।
जांच प्रक्रिया में खामी बताकर मिली बहाली
हाईकोर्ट में अनुरा सिंह ने तर्क दिया कि विभागीय जांच में गंभीर खामियां हैं। जांच अधिकारी ने न केवल आरोप साबित किए, बल्कि सजा की सिफारिश भी कर दी, जो केवल अनुशासनात्मक प्राधिकारी का अधिकार है। न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने इस दलील को स्वीकार करते हुए विभागीय जांच रिपोर्ट और बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिए। साथ ही तौफीक अहमद को सेवा में बहाल कर तीन माह के भीतर नई जांच करने के निर्देश दिए।