बरेली (Bareilly) के मदरसे के छात्र के साथ कथित मॉब लिंचिंग मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है. पूछताछ में यह बात निकलकर कर आई है कि छात्र ने मदरसे की पढ़ाई से बचने के लिए झूठी मॉब लिंचिंग कि कहानी गढ़ी. आरोप था कि युवक ट्रेन में सफ़र के दौरान मुस्लिम होने कारण कुछ हिन्दुओं ने उसकी टोपी निकालकर उसके साथ पिटाई की.
इससे पहले ख्वाजा कुतुब स्थित आलिया आजिम अजीजुल उलूम खानकाय नियाजिया मदरसे के छात्र मोहम्मद फरमान नियाजी उर्फ़ मुजीबुर्रहमान ने आरोप लगाया था कि वह 18 जून को अलीगढ़ से बरेली जा रहा था. इस दौरान राजघाट नारोरा स्टेशन से कुछ दूसरे धर्म के युवक ट्रेन में चढ़े और मुस्लिम होने कारण उसकी टोपी देखकर उस पर मजहबी टिप्पणी करने लगे. इसके बाद उसे पीटने लगे. छात्र का सोशल मीडिया पर एक पूरे घटनाक्रम को बताने का वीडियो वायरल हुआ था. इसके साथ ही उसने पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई थी.
पुलिस ने मुकदमा ट्रांसफर कर प्राथमिक जांच में जुटाए साक्ष्य चंदौसी जीआरपी को सौंप दिए. आगे की विवेचना जीआरपी ही करेगी. पूछताछ में ये भी बात सामने आई थी कि छात्र मदरसे में पढऩा नहीं चाहता था, वहां उसका मन नहीं लगा. जबकि, घरवाले मदरसे में ही उसे पढ़ाना चाहते थे. इसलिए यह कहानी गढ़ी गई.
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वहीँ इस पूरे मामले पर सीओ अनिल समानिया ने बताया कि बरेली पैसेंजर में सवार मुजीबुर्रहमान बबराला में उतरा था. वहां एक खंडहरनुमा मस्जिद में नमाज पढ़कर वहीं सो गया. अगली सुबह वह बुलंदशहर के गांव शेखूपुर चौंढेरा निवासी मौलवी साबिर के घर आया. साबिर बरेली के मदरसे में पढ़ा चुके थे, इसीलिए छात्र उन्हें जानता था. साबिर के माता-पिता ही घर पर मिले. यहां नहाने के बाद खाना खाकर बस से जवां आ गया. फिर चचेरे भाई आरिफ को बुलाकर बाइक से घर पहुंचा था. हालांकि, पुलिस अधिकारी राजघाट व बबराला के बीच ट्रेन में छात्र से जहरखुरानी, मारपीट की आशंका जता रहे हैं. लेकिन उसे ट्रेन से फेंकने, भीड़ ङ्क्षहसा जैसी घटना से इन्कार किया है.
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