केंद्र की मोदी सरकार की महत्वकांक्षी चारधाम परियोजना (Chardham project) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑल वेदर राजमार्ग परियोजन में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने और डबल लेन हाइवे बनाने के लिए केंद्र को हरी झंडी दिखा दी है। यह अनुमित मिलने के बाद चारधाम परियोजना के तहत भारती की चीन तक पहुंच और आसान हो जाएगी। यही नहीं, किसी भी मौसम में भारतीय सेना चीन से सटी सीमाओं तक पहुंच सकेगी।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हाईवे निर्माण के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय को कोई दुर्भावना नहीं है। अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का अनुमान नहीं लगा सकती है। सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सड़कों को डबल लेन तक चौड़ा करने की अनुमित के साथ ही परियोजना पर सीधे रिपोर्ट करने के लिए पूर्व न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति का गठन भी किया है।
कोर्ट ने रक्षाा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार व सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि वह निगरानी समिति को पूरा सहयोग करेंगे। केंद्र सरकार की चारधाम परियोजना का उद्देश्य यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
900 किलोमीटर लंबी इस परियोजना की लागत 12 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि भारत-चीन वास्तवित नियंत्रण रेखा की ओर से जाने वाली सीमा सड़कों के लिए यह फीडर सड़कें हैं।
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जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार परियोजना के तहत सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर तक करना चाहती है। इसके लिए केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसके तहत कोर्ट से मांग की गई थी कि वह आठ सितंबर, 2020 को दिए अपने आदेश में संशोधन करे। इस आदेश के तहत सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर तक सीमित करने का आदेश दिया गया था।
क्या है चारधाम परियोजना
चारधाम परियोजना (Char Dham Road Project) के तहत उत्तराखंड के चार प्रमुख तीर्थों यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा। इस परियोजना की शुरुआत साल 2016 में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की थी। इसके तहत दो सुरंगें, 15 पुल, 25 बड़े पुल, 18 यात्री सेवा केंद्र और 13 बायपास आदि बनाए जाने हैं।
क्या था विवाद
साल 2018 में एक गैर सरकारी संस्था ने सड़क चौड़ीकरण की इस परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उस एनजीओ ने दलील दी थी कि सड़क चौड़ीकरण के नाम पेड़ काटे जाएंगे। इससे पहाड़ों में विस्फोट का अंदेशा है, इसके साथ साथ मिहालय की सूरते हाल की भी मज़ीद खरब होगी। इससे भूस्खलन, बाढ़ का ख़तरा बढ़ जाएगा और जंगल व जलीय जीवों को नुक़सान पहुंचेगा।
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