Bihar Election 2025: बिहार में नई फुहार है, चिराग पासवान तैयार हैं

‘बिहार में नई फुहार है, चिराग पासवान तैयार हैं!… ब्रेकिंग ट्यूब का ये नारा अब सिर्फ एक जुमला नहीं, बल्कि बिहार (Bihar) की राजनीति में उठते नए तूफान की शुरुआत है। राजनीति में कब कौन सा चेहरा ‘गेमचेंजर’ बन जाए, कोई नहीं जानता। लेकिन चिराग पासवान (Chirag Paswaan) की कहानी कुछ अलग है। एक युवा चेहरा, जो पिता रामविलास पासवान (Ramvilas Paswaan) की राजनीतिक विरासत को सिर्फ संभालना नहीं, बल्कि नई दिशा देना चाहता है। अब वो दिन दूर नहीं जब चिराग दिल्ली की संसद से सीधे पटना की विधानसभा की जमीन पर कदम रखेंगे। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की बैठक में सर्वसम्मति से तय हो गया है। चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। और नहीं, ये कोई आरक्षित सीट नहीं होगी… चिराग लड़ेंगे सामान्य सीट से। और यही बात उन्हें बाकियों से अलग बनाती है।

बिहार मुझे पुकार रहा है- चिराग पासवान

ये फैसला साधारण नहीं, एक नई राजनीति की दस्तक है। केंद्र में मंत्री की भूमिका निभा रहे चिराग पासवान ने साफ कहा है ‘बिहार मुझे पुकार रहा है।’ उन्होंने खुद इच्छा जताई थी कि वो अब बिहार में रहकर काम करना चाहते हैं। अब पार्टी ने भी उनके इसी संकल्प पर मोहर लगा दी है। यह वही चिराग हैं जिन्होंने वर्षों पहले ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा दिया था। अब जब वो खुद मैदान में उतरेंगे, तो यह नारा सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन सकता है।

उधर, तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) अब तक बिहार की राजनीति में युवा नेतृत्व के एकमात्र मज़बूत चेहरे के तौर पर देखे जाते थे। उनके पास यादव-मुस्लिम समीकरण है, लालू प्रसाद (Lalu Prasad) की विरासत है और जनाधार भी। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। चिराग पासवान एक ऐसे नेता बनकर उभर रहे हैं जो जाति से ऊपर उठकर पूरे बिहार की बात करते हैं। सामान्य सीट से लड़ने का उनका फैसला जातीय राजनीति को सीधी चुनौती है। वो सिर्फ अपने कोर वोट बैंक के भरोसे नहीं, बल्कि हर वर्ग की स्वीकृति के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।

नीतीश कुमार भले ही 2025 में NDA का चेहरा हों, लेकिन उनके बाद क्या?

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भले ही 2025 में NDA का चेहरा हों, लेकिन उनके बाद क्या? एनडीए को एक युवा, तेज़तर्रार और जनप्रिय चेहरा चाहिए और चिराग पासवान इस खाली जगह को भरने के लिए तैयार दिख रहे हैं। नीतीश का उतरता सूरज हो या तेजस्वी का चढ़ता चाँद, चिराग की एंट्री दोनों के लिए नई चिंता है। चिराग जहां जाते हैं, भीड़ उमड़ती है। युवा उनके भाषणों में सिर्फ नेता नहीं, अपना सपना देखते हैं। उन्होंने कभी जातिगत राजनीति का सहारा नहीं लिया, न ही आरक्षण की आड़ में अपनी सीट सुरक्षित की। अब जब वो सामान्य सीट से चुनाव लड़ेंगे, तो यह उनके आत्मविश्वास और जनस्वीकृति दोनों का परिचायक होगा। और यही बात उन्हें तेजस्वी या किसी और से अलग बनाती है।

फिलहाल, बिहार के चुनावी रण में अब एक और युवा योद्धा उतर चुका है। तेजस्वी को अब न सिर्फ प्रशांत किशोर से, बल्कि चिराग पासवान से भी दो-दो हाथ करने होंगे। और ये लड़ाई सिर्फ सीटों की नहीं, विजन की होगी। कौन बेहतर बिहार का सपना दिखा सकता है? कौन युवाओं को बेहतर भविष्य दे सकता है? 2025 का चुनाव सिर्फ दलों का नहीं, चेहरों का होगा। और जब बिहार नए नेतृत्व की तलाश करेगा, तो उसे “नई फुहार” के रूप में चिराग पासवान ज़रूर दिखाई देंगे।

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