सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए करहल (Karhal) से विधान सभा पहुंचना आसान नहीं होगा. भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को अचानक करहल विधान सभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री और आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतार कर यह साफ कर दिया है. भाजपा के इस औचक दांव से सपा के रणनीतिकारों में खलबली है. पिछड़ों और दलितों के बीच एसपी सिंह बघेल की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा का यह दांव सपा और अखिलेश यादव की चिंता बढ़ा सकता है.
भाजपा ने करहल में बघेल को उतार कर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. बघेल की उम्मीदवारी के जरिये पार्टी ने जहां सपा का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में अपनी दमदार चुनौती पेश कर दी है, वहीं अखिलेश के लिए सुरक्षित ठिकाना तलाश लेने की सपा रणनीतिकारों की योजना पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करहल से बघेल के नामांकन के साथ ही भाजपा ने आक्रामक अंदाज में अपने प्रचार अभियान का आगाज कर दिया.
खुद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को मैनपुरी में धुंवाधार प्रचार और डोर टू डोर कैंपेन के जरिये पार्टी उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल के पक्ष में माहौल बनाया. मौर्य ने कहा कि एसपी सिंह बघेल भारी मतों से करहल से जीत दर्ज करने जा रहे हैं. यहां से विधान सभा पहुंचने का अखिलेश यादव का सपना पूरा नहीं होगा.
जातिगत समीकरण के लिहाज से भी करहल में बघेल और अखिलेश की चुनावी जंग दिलचस्प होती नजर आ रही है. करहल में करीब 27 फीसदी यादव मतदाता हैं,जबकि ठाकुर समुदाय की हिस्सेदारी 12 फीसदी से अधिक है। शाक्य, मौर्य, कुशवाहा समुदाय की हिस्सेदारी 12 फीसदी से अधिक है. पाल, गडेरिया, धनगर समाज करीब 9 फीसदी है,जबकि मुस्लिम वर्ग और ब्राहमण समुदाय की हिस्सेदारी 5-5 फीसदी है. इसके साथ ही दलित समुदाय की हिस्सेदारी 12 से 14 फीसदी तक है.
ऐसे में जातिगत गणित को देखते हुए भी करहल का मुकाबला बेहद रोचक माना जा रहा है. एसपी सिंह बघेल के क्षेत्र से भलीभांति वाकिफ होने और दलितों व पिछड़ों में उनकी लोकप्रियता अखिलेश यादव और उनके चुनाव प्रबंधकों के लिए चिंता का कारण बन सकती है. यही कारण है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भारतीय जनता पार्टी ने उनके गढ़ में ही घेरने की तैयारी कर ली है.
1989 में पहली बार बने MLA
यूपी पुलिस (UP Police) में बतौर सब इंस्पेक्टर अपनी प्रोफेशनल लाइफ की शुरुआत करने वाले एसपी सिंह बघेल मौजूदा समय में सियासत की दुनिया में बड़ा नाम है. एसपी सिंह बघेल को उत्तर प्रदेश पुलिस में रहते हुए मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा करने का मौका मिला. 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद बघेल मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा में शामिल किए गए. उन्होंने अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर मुलायम सिंह यादव का भी दिल जीत लिया. मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 1998 में पहली बार उतारा और वह जीते. उसके बाद दो बार सांसद चुने गए. 2010 में बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा.
आगरा से बने सांसद
आठ वर्ष पहले एसपी सिंह बघेल भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने उन्हें पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचार के रूप में भूमिका निभाई. इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में टूंडला सुरक्षित सीट से भाजपा विधायक बने. इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में शामिल किया गया. कैबिनेट मिनिस्टर बनने के बाद एसपी सिंह बघेल का राजनैतिक जीवन फिर चमकने लगा. इसके बाद एक बार फिर आगरा से उन्हें भाजपा ने मौका दिया, तो यहां से भी प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बड़ी जीत दर्ज की.
करहल में क्या हैं जातीय समीकरण
करहल विधानसभा में करीब 3 लाख 71 हजार वोटर हैं. इसमें यादव वोटरों की संख्या लगभग 1 लाख 44 हजार है, जो कि कुल मतों का 38 फीसदी बैठता है. जबकि 14183 वोटर मुस्लिम हैं. इसके अलावा शाक्य (34946), ठाकुर (24737), ब्राह्मण (14300), लोधी 10833) और जाटव (33688) वोटर्स का भी दबदबा है.
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