रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है. इस महीने के एक दिन बाद ही पाकिस्तान में एक नापाक हरकत की गई है. लाहौर स्थित दाता दरबार के बाहर जोरदार बम धमाका हुआ. इस हमले में 10 लोगों की मौत हो गई और 25 से ज्यादा लोगों के गंभीर रूप से घायल हो गये. दरअसल, दाता दरबार एक सूफी दरगाह है, ये दक्षिण एशिया के बड़े सूफी स्थानों में से एक है. जहां हमेशा सुरक्षा बल मुस्तैद रहते हैं. इस दरगाह के बाहर पंजाब पुलिस की एलीट फोर्स की वैन को निशाना बनाया गया था. ये एक आत्मघाती हमला था जिसमें मरने वालों में 5 पाकिस्तान पंजाब पुलिस के कमांडो और एक सुरक्षा गार्ड भी शामिल है.
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बता दें पाकिस्तान में सूफी परंपरा को मानने वालों की तादाद काफी ज्यादा है. लेकिन कट्टर सुन्नी मुस्लिम इन्हें अच्छी नजर से नहीं देखते. ऐसी दरगाहों पर पहले भी आतंकवादियों ने हमले किए हैं. एक समाचार एजेंसी के मुताबिक पाकिस्तान के ही एक तालिबानी संगठन हिजबुल अहरार ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. इस संगठन के प्रवक्ता अब्दुल अजीज यूसुफजई ने दावे से कहा है कि ‘यह हमला ऐसे समय में किया गया जब पुलिस के पास कोई सिविलियन नहीं था’. मतलब कि आतंकियों का निशाना सिर्फ पुलिसकर्मी थे. लेकिन, ये दावा गलत साबित होता है क्योंकि इस हमले में पुलिसवालों के अलावा एक बच्चा और कई आम लोग भी मरने वालों शामिल हैं.
पिछले 2 सालों में पाकिस्तान का शहर लाहौर, इस तरह के हमलों से पूरी तरह से मुक्त हो गया था. लेकिन लाहौर आज एक बार फिर दहशत में है. फिलहाल इस हमले पर लोगों ने जो प्रतिक्रियाएं दीं वो हैरान करने वाली हैं. कोई भी पाकिस्तानी ये नहीं मान रहा कि ये आतंकी हमला उन आतंकियों की वजह से हुआ जिसे पाकिस्तान खुद अपने मुल्क में पनाह दिए हुए है. बल्कि इसके लिए बहुत से तो भारत को जिम्मेदार मान रहे हैं.
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फिलहाल ये साफ हो गया है कि ये हमला खास तौर पर दाता दरबार के बाहर इसीलिए किया गया क्योंकि कट्टर इस्लामी सूफिज्म को इस्लाम से जुदा मानते हैं. लेकिन इस संगठन ने ये भी साफ कर दिया है कि इस हमले में कोई और नहीं खुद पाकिस्तान के ही वो संगठन मौजूद हैं जो इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान में रहकर वहीं का अमन और चैन बिगाड़ रहे हैं. और इस बात में कोई दम नहीं है कि ये निर्दोषों की जान नहीं लेते. पुलिसवाले जो दाता दरबार के बाहर अपनी ड्यूटी कर रहे थे उन्हें कोई भी किस बात का दोषी ठहरा सकता है. और उनका क्या जो वहां के बेगुनाह लोग हैं जो इस हमले की चपेट में आकर घायल हुए और मारे गए.
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वहीं, पाकिस्तान में ऐसे कई सारे संगठन हैं जो कुकुरमुत्तों की तरह जगह-जगह उगे हुए हैं. उनको दाना पानी पाकिस्तान से ही मिलता है. तो फिर किस आधार पर पाकिस्तान ये कहता है कि वो अमन पसंद है, जबकि इनके सफाए के लिए वो कुछ नहीं करता. हाल ही में UNSC ने पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट भी घोषित कर दिया है. शायद, इस पर भी पाकिस्तान शर्मिंदगी नहीं महसूस करता है.
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