उत्तर प्रदेश के बदायूं (Budaun) जिले में तीन साल पहले 2019 में झोलाछापों के खिलाफ अभियान चलाया गया था। पुलिस ने इन्हें चिन्हित कर सूची स्वास्थ्य विभाग को सौंपी थी, जिस पर मुकदमे दर्ज कराए गए थे। इसी दौरान कादरचौक के दारोगा हेमराज पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज हुआ था। ककोड़ा गांव के मिंटू शाक्य ने दुकान खोलने के बदलने में 3000 रुपए लेने का आरोप लगाया था और उसका वीडियो भी बनाया था। इस मामले में दारोगा को क्लीन चिट दे दी गई है।
वहीं, दारोगा को भष्ट्राचार के मामले में फंसाने की कोशिश करने वाले के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर धारा 182 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। ये पूरा मामला उस समय का है, जब दिनेश कुमार सिंह जिलाधिकारी और अशोक कुमार त्रिपाठी थे। झोलाछापों की लगातार मिल रही शिकायतों पर एसएसपी ने जिले भर में अभियान चलवाकर झोलाछापों को चिन्हित कराया था।
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इसकी सूची सीएमओ को दी गई थी, जांच के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में भी खेल हुआ था। छानबीन कर झोलाछापों पर मुकदमे दर्ज कराए गए थे और उनकी दुकानें भी बंद कराई गई थी। इस अभियान में दारोगा हेमराज भी शामिल रहे थे। ककोड़ा गांव के मिंटू शाक्य ने दारोगा पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
यही नहीं, रिश्वत लेने का वीडियो भी वायरल किया गया था। फॉरेंसिक जांच में यह बात साफ हुई की वीडियो में छेड़छाड़ की गई है। बाद में आरोप लगाने वाले मिंटू ने भी अपने बयान में स्वीकार किया कि उसने दारोगा से तीन हजार रुपए उधार लिए थे और वापस करने उनके सरकार आवास पर पहुंचा था।
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इसी आधार पर दारोगा को क्लीन चिट दे दी गई है और अदालत के आदेश पर वादी मिंटू शाक्य के खिलाप सीओ उझानी ने कादरचौक थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।