यूपी में शहरी हरित नीति को कैबिनेट की मंजूरी, ग्रीन सिटी की ओर बड़ा कदम

उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने प्रदेश के शहरी इलाकों में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए शहरी हरित नीति को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi Adityanath ) के विजन पर आधारित यह नीति पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। इसके तहत शहरी क्षेत्रों में वर्टिकल गार्डन, रूफटॉप गार्डन, मियावाकी जंगल, ग्रीन पार्क और ग्रीन बेल्ट जैसी पहलें शुरू की जाएंगी। नीति का उद्देश्य न केवल हरियाली बढ़ाना है, बल्कि शहरों को जलवायु परिवर्तन के असर से सुरक्षित बनाना भी है।

ग्रीन रेटिंग सिस्टम और मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क तैयार

इस नीति के तहत प्रदेश के शहरों को उनकी हरित पहलों के आधार पर ग्रीन स्टार रेटिंग दी जाएगी। इसके लिए एक ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया जाएगा, जो हर शहर की प्रगति को स्थानीय निकाय, राज्य एजेंसियों और स्वतंत्र निगरानी संस्थाओं के माध्यम से ट्रैक करेगा। शहरों को उनके हरित प्रदर्शन के आधार पर ‘ग्रीन”, “ग्रीन+”, “ग्रीन++” और “ग्रीन+++’ रेटिंग दी जाएगी, जबकि सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले शहर को “अल्टीमेट ग्रीन सिटी अवॉर्ड” से नवाज़ा जाएगा।

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तीन स्तरों पर होगी लागू

शहरी हरित नीति को तीन स्तरों पर लागू किया जाएगा  शहर स्तर, मोहल्ला स्तर, और भवन स्तर। शहरों में स्पॉन्ज पार्क, निम्न उत्सर्जन क्षेत्र और ग्रीन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे। मोहल्लों में पॉकेट पार्क, सामुदायिक बग़ीचे और पार्क गोद लेने की योजनाएं लाई जाएंगी। वहीं भवन स्तर पर ग्रीन बिल्डिंग नॉर्म्स लागू होंगे, जिससे पर्यावरण के अनुकूल निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।

वित्तीय सहायता और सामुदायिक भागीदारी से होगी नीति की सफलता

नीति के क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे अमृत 2.0, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, और वित्त आयोगों से वित्तीय मदद ली जाएगी। साथ ही स्थानीय निकाय अपनी आय, CSR फंड और अन्य स्रोतों से भी सहयोग ले सकेंगे। नीति में सार्वजनिक भागीदारी को भी प्राथमिकता दी गई है, जिसमें स्कूलों, संस्थानों और आम जनता के माध्यम से वृक्षारोपण और ग्रीन इवेंट्स का आयोजन शामिल है।

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तीन चरणों में पूरे प्रदेश में लागू होगी नीति

यह नीति चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। पहले चरण (2025–2027) में स्मार्ट शहरों और बड़े महानगरों में इसे लागू किया जाएगा। दूसरे चरण (2027–2030) में एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को शामिल किया जाएगा। जबकि तीसरे और अंतिम चरण (2030 के बाद) में प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को इस योजना में शामिल किया जाएगा।

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