कैश कांड: CJI ने मांगा जस्टिस वर्मा का इस्तीफा, पीएम और राष्ट्रपति को भेजी जांच रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के आवास पर कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले की जांच पूरी हो चुकी है। इस मामले में गठित तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी गई है। साथ ही, जस्टिस वर्मा द्वारा इस रिपोर्ट पर दिया गया जवाब भी रिपोर्ट के साथ अग्रेषित किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट का बयान

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि, “CJI ने इन-हाउस प्रक्रिया के तहत 3 मई, 2025 को प्राप्त रिपोर्ट और 6 मई, 2025 को जस्टिस वर्मा द्वारा भेजे गए उत्तर को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपा है।” हालांकि, जस्टिस वर्मा ने रिपोर्ट में क्या कहा है, इसका खुलासा नहीं किया गया है।

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क्या होगा अगला कदम?

सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जांच कर रही तीन सदस्यीय समिति ने जस्टिस वर्मा को प्रथम दृष्टया दोषी माना है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि CJI ने उन्हें दो विकल्प दिए हैं, या तो वे स्वेच्छा से इस्तीफा दें या फिर महाभियोग की प्रक्रिया का सामना करें।

क्या था मामला ?

बता दें कि यह मामला उस समय तूल पकड़ा जब 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में आग लगने की घटना हुई। इस दौरान दमकलकर्मियों को वहां बड़ी मात्रा में बिना हिसाब-किताब की नकदी मिली। उस समय जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी दिल्ली से बाहर थे, जबकि घर में उनकी बेटी और वृद्ध मां मौजूद थीं। बाद में एक वीडियो सामने आया जिसमें आग की लपटों में कैश के बंडल जलते हुए दिखाई दिए।

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जांच कमेटी में कौन थे शामिल?

इस जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थीं। इस समिति ने 25 मार्च को जांच शुरू की थी और 4 मई को अपनी रिपोर्ट CJI को सौंपी।

आरोपों से इनकार

न्यायमूर्ति वर्मा ने इस पूरे प्रकरण को अपने खिलाफ रची गई साजिश बताया और आरोपों से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा कि उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन-हाउस प्रक्रिया के तहत जांच शुरू की।

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सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सार्वजनिक रूप से पारदर्शिता बनाए रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा भेजी गई प्रारंभिक रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा का स्पष्टीकरण भी सार्वजनिक किया। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन-हाउस जांच के चलते फिलहाल उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जाएगा।

स्थानांतरण और न्यायिक कार्य से दूरी

घटना के बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से स्थानांतरित कर उनके मूल कोर्ट—इलाहाबाद हाई कोर्ट—भेजा गया, जहां उन्होंने हाल ही में दोबारा पद और गोपनीयता की शपथ ली। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फिलहाल उन्हें न्यायिक कार्य से दूर रखा गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनके ट्रांसफर का विरोध करते हुए कुछ समय के लिए हड़ताल भी की थी।

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कानूनी सलाह ली

जांच शुरू होने के बाद जस्टिस वर्मा ने सीनियर वकीलों से कानूनी परामर्श भी लिया। वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल, अरुंधति काटजू, तारा नरूला, स्तुति गुजराल समेत एक और अधिवक्ता उनके आवास पहुंचे और मामले की गंभीरता को देखते हुए रणनीति बनाई गई।

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