दिन 8 नवंबर 2019, समय तकरीबन रात 9:20 मिनट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) 5 कालीदास स्थित अपने सरकारी आवास में विदेशी मेहमानों के साथ डिनर कार्यक्रम में व्यस्त थे. तभी सभी देश के सभी बड़े चैनलों ने पीटीआई के हवाले से खबर चलाई कि 9 नवम्बर की सुबह 10:30 बजे सुप्रीम कोर्ट रामजन्मभूमि पर अपना फैसला (Ayodhya Verdict) सुनाएगी. सूचना पाते ही योगी मेहमानो को भोजन के लिए आमंत्रित कर बिना भोजन किए अपने मीटिंग रूम में चले गए.
मामला था देश और दुनिया के सबसे पुराने, विपादित और संवेदनशील मसले का. थोड़ी सी भी चूक प्रदेश दंगे की चपेट में आ सकता था, मामले की संजीदगी को समझते हुए सीएम ने बिना कोई देरी किए अपर मुख्य सचिव गृह, डीजीपी एवं एडीजी लॉ एंड ऑर्डर को तलब किया. रात 10 बज चुके थे सभी प्रमुख अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री ने बैठक कर पूरे प्रदेश का हाल जाना और अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश दिया. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए योगी ने प्रदेश के सभी 75 जिलों को जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षकों से एक-एक कर बात की. इस दौरान उन्होंने सभी अधिकारियों को सतर्क रहने के साथ ही पेट्रोलिंग करने का निर्देश दिया. यह पूरा क्रम रात करीब 2 बजे तक चलता रहा. अधिकारियों से संतुष्ट होकर योगी करीब ढाईं बजे अपने कक्ष में चले गए.
अगला दिन योगी के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इसी दिन राममंदिर को लेकर 10:30 बजे फैसला आने वाला था. रोजाना 4 बजे कक्ष छोड़ने वाले योगी 2:45 बजे ही कक्ष छोड़ देते हैं. मामले की संजीदगी को देखते हुए सीएम शनिवार को अपने सभी दैनिक कार्यक्रम रद्द कर देते हैं. सुबह 8 बजे सभी अधिकारियों को फिर अपने आवास पर तलब करते हैं और उनसे प्रदेश की स्थिति का हाल जानते हैं. 7 बजे योगी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहते हैं कि फैसले को हार या जीत के साथ जोड़कर ना देखा जाए. यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि प्रदेश में शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण वातावरण को बनाए रखें. अफवाहों पर ध्यान न दें.
फैसले वाले दिन एक वक्त ऐसा भी आता है, जब पुलिस के आला अधिकारियों में हड़कंप मच जाता है. योगी अचानक डायल 112 के ऑफिस पहुंच जाते हैं, जहां से पूरे प्रदेश की सोशल मीडिया की मॉनीटरिंग की कार्रवाई को देखते हैं. सोशल मीडिया के जरिए कोई अफवाह न फैलने पाए इसको लेकर वह आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करने का आदेश देते हैं. अधिकारियों को निर्देश देने के बाद फैसले की अपडेट लेने के लिए सीएम योगी 5 कालीदास स्थित अपने आवास पहुंचते हैं. यहां वे पहले से मौजूद विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता दिनेश जी के साथ अयोध्या मामले के सुप्रीम फैसले को देखने लगते हैं.
इसी दौरान टीवी स्क्रीन पर ब्रेकिंग में फ्लैश होता है, ‘सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि पर रामलला विराजमान का दावा माना, मुस्लिमों को मस्जिद के लिए कहीं और जगह’. सूत्रों के मुताबिक इस ऐतिहासिक फैसले को देखते ही गोरक्षापीठ के महंत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद भावुक हो जाते हैं. वे लगातार तालियां बजाते रहते हैं. योगी के चेहरे पर भावुकता और खुशी एक साथ दिख रही होती हैं. वह इतना भावुक हो गए थे कि कुछ क्षण के लिए कमरे से उठकर चले गए.
योगी के लिए भावुकता के इन क्षणों को ऐसे समक्ष सकते हैं कि मायावती और अखिलेश यादव जब यूपी के सीएम थे तो वे इस मामले के कागजातों का अनुवाद करने के काम पर कुंडली मारकर बैठे रहे. साल 2010 से 2017 तक यह रुका रहा मगर योगी आदित्यनाथ ने सीएम बनते ही इसे 10 महीने में पूरा करा दिया. इतना ही नहीं बतौर सीएम योगी आदित्यनाथ 18 बार अयोध्या गए. पिछले 27 सालों में योगी बीजेपी के ऐसे दूसरे सीएम बने जिन्होंने अयोध्या जाकर रामलला की पूजा अर्चना की. साल 1992 के बाद से सभी बड़े नेताओं ने अयोध्या से दूरी बनाए रखी. इनमें मुलायम, मायावती, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जैसे नाम शामिल हैं.
अयोध्या फैसले के बाद योगी आदित्यनाथ एक कुशल प्रशासक बनकर उभरे. योगी लोगों को अपनी बात मनवाने में सफल रहे कि सांप्रदायिक तनाव, दंगे जैसी चीजो के लिए कोई जगह नहीं हैं. यहां हिंदु-मुस्लिम सौहार्दपूर्ण तरीके से अपने-अपने त्योहार मनाते हैं.राममंदिर के फैसले के अगले दिन बारावफात का जुलूस निकलना था, योगी पुलिस के अधिकारियों के साथ दिन भर पल-पल की अपडेट लेते रहे. जिसका नतीजा रहा कि जब बारावफात का जुलूस निकला तो चांद-तारों के झंडे के साथ तिरंगा झंडा भी मोटरसाइकिलों पर लहरा रहा था और हिन्दू समुदाय के लोग जुलूस पर पुष्प वर्षा कर रहे थे.
आज प्रदेश में अमन-शांति कायम है. हिंदू-मुस्लिम के बीच 5 सदी पुराना विवाद जो सामुदायिक सौहार्द की राह में रोड़ा बना हुआ था, खत्म हुआ. अयोध्या पर कोर्ट का जितना बड़ा फैसला था, फैसले के बाद उतना ही बड़ा कद सूबे की कानून-व्यवस्था संभालने वाले सीएम योगी का आज हो गया.
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