एक संत के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अपनी आस्था, परंपरा एवं संस्कृति का पूरा सम्मान करते हैं। पर अगर वैज्ञानिकता और लोककल्याण की बात आती है तो वह रूढ़ियों को तोड़ने में तनिक भी नहीं हिचकते। वह घटनाओं की वजह की वैज्ञानिक वजह भी जानते हैं और लोगों से खासकर युवाओं से भी ऐसी ही जागरूकता की अपेक्षा करते हैं। आज सूर्यग्रहण के दौरान भी उन्होंने यही किया। आम परंपरा यह है कि ग्रहण के दौरान घर से निकलते नहीं। ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान, दान के बाद ही रूटीन दिनचर्या करते हैं।
आज मुख्यमंत्री गोरखपुर में थे। ग्रहण के दौरान वह तारामंडल स्थित नक्षत्रशाला गये। वहां वैज्ञानिक एतिहात के साथ ग्रहण देखा। एक्सपर्टस से इसके विभिन्न पहलुओं की जानकारी ली। यह पहला अवसर नहीं है जब योगी आदित्यनाथ ने ऐसा किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद बार-बार नोएडा जाकर वहां को लेकर मिथक को तोड़ा। यही नहीं सार्वजिनक रूप से कहा भी था कि मैं नोएडा जाता रहूंगा और दुबारा मुख्यमंत्री भी बनूंगा। हुआ भी यही।
यही नहीं राजनीतिक वजहों से उनके पूर्ववर्ती अयोध्या जाना तो दूर उसका नाम लेने से भी बचते थे उस अयोध्या का योगी ने बार-बार दौरा किया। आज उनकी अगुआई में अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है। साथ ही उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के सपनों के मुताबिक रामजन्म भूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण भी हो रहा है।
जनता के दुख दर्द में सहभागी बनने के लिए उन्होंने गोरक्षपीठ की नवरात्र के दौरान मठ की पहली मंजिल से नीचे नहीं उतरने की भी एक परंपरा को भी तोड़ा था। उनके सांसद रहने के दौरान एक बार गोरखपुर के नंदानगर क्रासिंग पर रात के समय ट्रेन दुर्घटना हुई थी। तब नवरात्र अनुष्ठान के कारण वह मंदिर में ही प्रवास कर रहे थे। परंपरा तोड़ वह दुर्घटना पीड़ितों के बीच पहुंचे थे। उनके आने से उनके लोग और प्रसाशन सक्रिय हुआ। सब लोग सुरक्षित 6-7 किलोमीटर दूर स्थित बस स्टेशन एवं रेलवे स्टेशन पहुँचाए गये।
Also Read: गोरखपुर: CM योगी ने जनता दरबार में सुनी फरियाद, कहा- जनता की सेवा में समर्पित है सरकार
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )