योगी सरकार जीरो टोलरेंस की नीति पर काम करती है ये बात किसी से छिपी नहीं है. दरअसल, चाहे इपराधी हो या प्रशासन का कोई व्यक्ति..अगर कोई भी गलत काम करता है तो योगी सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करती है. ये सब बात हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हाल ही में योगी सरकार ने फिर से एक बार एक ऐसा कदम उठाया है जिस वजह से चारों और सरकार की कार्यशैली की सराहना हो रही है. दरअसल, गैंगरेप के मामले में घूस लेकर मामला रफा-दफा करने के मामले में दोषी पाए गए डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी को योगी सरकार ने डिमोट कर के सिपाही बना दिया है. आईये आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…
इन मामलों में पाए गए दोषी
जानकारी के मुताबिक, बीते साल रामपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा के दौरान एक महिला ने आत्मदाह की चेतावनी दी थी. उसका आरोप था कि स्वामी विवेकानंद अस्पताल के संचालक विनोद यादव और तत्कालीन इंस्पेक्टर गंज रामवीर यादव ने उसके साथ गैंगरेप किया. इसमें पुलिस ने कार्रवाई नहीं की.
इसी मामले में पांच लाख की घूस लेते हुए सीओ सिटी रहे विद्या किशोर का एक वीडियो वायरल हुआ था. सीएम के आदेश पर शासन ने इसकी जांच करायी. एएसपी मुरादाबाद की जांच में सीओ पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए. इस मामले में सीएम कार्यालय ने ट्वीट कर अवगत कराया था कि संबंधित सीओ को निलंबित कर दिया गया.
बात बस इतनी सी ही नहीं है. इसके साथ ही सीओ विद्या किशोर शर्मा पर गोकशी करने वालों को छोड़ने के लिए इंस्पेक्टर पर दबाव डालने का भी आरोप लगा था. जब इंस्पेक्टर ने नहीं छोड़ा तो फोन पर धमकाया था. इस पर इंस्पेक्टर ने आईजी मुरादाबाद के सामने पेश होकर फोन रिकार्डिंग सुनवायी थी, जिसकी जांच आईजी मुरादाबाद ने की थी. उसमें भी यह दोषी पाए गए थे.
योगी सरकार ने किया बड़ा फैसला
इन सभी मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार अफसरों पर कार्रवाई करने के नजीर पेश करते हुए विद्या किशोर शर्मा को डिमोट कर उनके मूल पद पर भेजने का आदेश दिया है. यानि कि विद्या किशोर को सीधा सिपाही बना दिया गया है. मौजूदा समय में वह जालौन जिले की पीटीसी शाखा में तैनात हैं.
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