तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले गुरुवार को कांग्रेस ने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. कांग्रेस ने कई राज्यों के प्रभारी बदल दिए हैं. कांग्रेस ने बृजलाल खाबरी की जगह अजय राय (Ajay Rai) को यूपी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. कांग्रेस नेता अजय राय दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. पहले 2014 और फिर 2019 में इन्होंने चुनाव लड़ा था. वहीं चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने जेपी अग्रवाल की जगह रणदीप सुरजेवाला को प्रभारी महासचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी है. जबकि रघु शर्मा की जगह मुकुल वासनिक को गुजरात का प्रभारी महासचिव बनाया गया है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिहाज से 80 सीटों वाला उत्तर प्रदेश बेहद अहम है. लेकिन लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस की हालत यहां बहुत खराब है. साल 2019 के चुनाव में तो कांग्रेस अपनी परंपरागत और सबसे सुरक्षित सीट अमेठी से भी हार गई थी. ऐसे में बिखरे हुए संगठन को फिर से एकजुट करना और लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी कैडर तैयार करना अजय राय की सबसे बड़ी चुनौती होगी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली सीट पर ही जीत मिल पाई थी. सोनियां गांधी यहां से सांसद हैं. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस केवल दो सीटों पर ही सिमट गई.
कौन हैं अजय राय ?
अजत राय यूपी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं. उन्होंने बीजेपी से अपना पॉलिटिकल करियर शुरू किया था. अब उनका नाम पूर्वी उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में आता है. उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ साल 2014 और 2019 में वाराणसी से चुनाव लड़ा था. लेकिन दोनों ही बार उनको शिकस्त का मुंह देखना पड़ा.
अजय राय 5 बार विधायक रह चुके हैं. तीन बार उनको बीजेपी के टिकट पर जीत मिली तो दो बार कांग्रेस के टिकट पर. गौरतलब है कि साल 2009 में अजय राय वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन तब उनको कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था. इसके बाद वह सपा की साइकिल पर बैठ गए. उस समय बीजेपी ने वाराणसी से मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारा था. जब सपा के टिकट पर अजय राय मैदान में उतरे तो हार का स्वाद चखना पड़ा.
2009 के चुनाव में मुरली मनोहर जोशी को विजय मिली थी. 2009 के इस लोकसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी भी वाराणसी की सीट से बतौर उम्मीदवार उतरा था. वह दूसरे नंबर पर रहा था. जबकि अजय राय तीसरे पर. जब 2009 का चुनाव खत्म हुआ तो एक बार फिर अजय राय ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया.
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