उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देशों के बाद भी कुछ शहरों में सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। सरकार का स्पष्ट निर्देश था कि आगामी पर्वो व त्यौहारों पर किसी को भी कोई नई परम्परा नहीं शुरू करने दी जायेगी किंतु मुस्लिम तुष्टीकरण करने वाले दलों के उकसावे पर प्रदेश में अराजकता का वातावरण बनाने के प्रयास प्रारम्भ हो गए हैं। जिसका उदाहरण मुहर्रम के जुलूसों में देखने को मिला। अमेठी से प्राप्त एक वीडियो में जुलूस में शामिल मुस्लिम युवक नारा लगा रहे थे कि “हिन्दुस्तान में रहना है तो हाय हुसैन कहना होगा” जो वातावारण बिगाड़ने का प्रयास था। यूपी पुलिस ने तत्काल कार्यवाही करते हुए सात आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया अन्यथा स्थिति बिगड़ सकती थी। वहीं फतेहपुर और मेरठ के गांव मे भी वातावरण को दूषित करने का असफल प्रयास किया गया।
प्रदेश में अनेक जिलों से मुहर्रम के जुलूस में फिलीस्तीन के झंडे फहराये गये और कहीं कहीं पर डीजे बजाने को लेकर विवाद हो गया। ये वही लोग हैं जो न तो भारत माता की जय बोलते हैं और न ही वंदेमातरम गाते हैं, ये विद्यालयों में योग का विरोध करते हैं। भारत का तिरंगा न पहचानने और भारत की राजधानी का नाम न जानने वाले यह लोग विश्व के किसी भी कोने के मुसलमानों से मजहबी रिश्ता बना लेते हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मुहर्रम के जुलूस में फिलीस्तीन के झंडे व अमेरिका व इजराइयल के विरुद्व हुई नारेबाजी एक सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत की गई है । असद्दुद्दीन ओवैसी ने संसद में शपथ लेते हुए जय फिलीस्तीन कहा था। इस बात की प्रबल संभावना है कि ओवैसी का वह नारा इन देश विरोधी तत्वों के लिए एक कूट सन्देश रहा हो।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर, संविधान की आड़ लेकर, मुहर्रम के मजहबी जुलूस में किसी दूसरे देश के झंडे फहराने का क्या मतलब है ? ये उकसाने वाली कार्य क्यों किये जा रहे हैं? टीवी बहसों में भारत के तथाकथित सेक्युलर दल धूर्तता के साथ फिलीस्तीन के झंडे फहराने का समर्थन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इजराइल की वजह से आज फिलीस्तीन में हजारों बच्चे मारे जा चुके हैं। फिलीस्तीन समर्थकों का कहना है कि भारत इजराइल को हथियार भेज रहा है, खाद पानी दे रहा है तो हम उसका विरोध करेंगे ही जबकि भारत फिलिस्तीन को भारी भरकम मानवीय सहायता भेज चुका है। सेक्युलर दलों के प्रवक्ता हमास के आतंकवाद पर चुप्पी साध कर कट्टर मुस्लिम आतंकवाद का समर्थन करते नजर आ रहे हैं।
कांवड़ यात्रा पर सावन के पवित्र माह में बड़ी संख्या में कांवड़ यात्री भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए पवित्र भाव से घर से कांवड़ लेकर निकलते हैं। कांवड़ मार्ग पर मुजफ्फरनगर प्रशासन ने एक आदेश जारी करके कांवड़ मार्ग पर स्थित सभी होटलों, दुकानों एवं ठेले लगाने वाले दुकानदारों को अपनी दुकान के सामने नाम लिखकर अपनी असली पहचान बताने को कहा है। इस आदेश के आते ही सभी तथाकथित सेक्युलर दलों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोल दिया और उनकी तुलना हिटलर से करनी आरम्भ कर दी। मुजफ्फरनगर प्रशासन का आदेश केवल कांवड़ यात्रा के 240 कमी लम्बे मार्ग के लिए ही था लेकिन आदेश के लिए शिवभक्तों का समर्थन देखकर योगी जी महाराज ने इसे पूरे प्रदेश के कांवड़ यात्रा मार्ग पर लागू करने का आदेश दे दिया, साथ ही यहाँ हलाल प्रमाणित उत्पादों की बिक्री पर भी प्रतिबन्ध रहेगा। मुजफ्फरनगर प्रशासन के आदेश का स्थानीय दुकानदारों ने तो कोई विरोध नहीं किया किंतु सपा, बसपा, कांग्रेस ओवैसी, तृणमूल सहित जावेद अख्तर और सोनू सूद जैसों को बहुत तकलीफ हो रही है।
ज्ञातव्य है कि यह आदेश हवा में नहीं दिया गया है वरन वर्ष 2006 के उपभोक्ता मामलों के एक कानून के आधार पर दिया गया है जिसमें उपभोक्ता को अपने क्रेता को जानने का अधिकार प्रदान किया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में मुसलमान हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर खाने पीने से सम्बंधित दुकाने और होटल चला रहे हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन के नाम पर कुछ भी परोस रहे हैं। कांवड़ यात्रा करने वाले श्रद्धालु कठिन तप करते हैं और शुद्ध सात्विक आहार लेते हैं ऐसे में उनकी भावना का सम्मान करते हुए ये आवश्यक था कि उन्हें ये जानने का अधिकार दिया जाए कि वो अपना खाने का सामान किस से खरीद रहे हैं क्योंकि मुसलमान ढाबे, परम्पराओं से अनभिज्ञ होने के कारण उस स्तर की शुद्धता का पालन नहीं कर पाते। पिछले दिनों ऐसी कई घटनाएँ सामने आई हैं जिनमें मुसलमान अपने धार्मिक कर्तव्य के रूप में भोजन को जूठा/ थूक कर अपवित्र करते हुए दिखाई दिए हैं ऐसी स्थिति में कांवड़ यात्रियों को खाद्य सामग्री बेचने वाले के वास्तविक नाम का पता होना आवश्यक है। इस आदेश का एकमात्र उद्देश्य कांवड़ यात्रा मार्ग पर यात्रियों को अपनी सात्विकता बनाए रखने में सहयता करना है।
स्वयं वर्ष के बारह महीने भोजन से लेकर साबुन मंजन कपड़े लत्ते तक हलाल खरीदने वाले चाहते हैं कि हिन्दू अपने पवित्र उपवास के समय भी धार्मिक श्रद्धा और सात्विकता का पालन न कर सकें। दुःख की बात है धर्मभ्रष्ट हिन्दू ही सत्ता और वोट बैंक के लालच में इसका झंडा उठाए घूम रहे हैं । 1947 के बाद से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मुस्लिम अपना नाम छिपाकर हिन्दुओं से ही कमाई कर रहे और हिंदू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सिने जगत में युसूफ खान जैसे लोग दिलीप कुमार बनकर पाकिस्तान समर्थक बने रहे और हिन्दू संस्कृति का उपहास करते रहे। नाम बदलने का यह चलन खतरनाक रूप ले चुका है जिसमें यह लोग दो कदम आगे जाकर रोहित, मोहित आदि नाम रखकर गणेश जी और हनुमान जी की मूर्ति रखकर अपना धंधा चलाने के साथ साथ हिन्दुओं को पथभ्रष्ट कर रहे हैं। दुकान और धंधे से शुरू होता ये चलन लव जिहाद जैसे अपराध तक पहुँच जाता है। मुस्लिम समाज के युवा हिंदू नाम रखकर हिन्दू परिवारों से निकटता बढ़ाते हैं और फिर उनकी बेटियों पर कुदृष्टि डालकर लव जिहाद और धर्मांतरण का खेल करते हैं।
धार्मिक हिन्दुओं का सम्मान करते हुए सकारात्मक विचार से दिए गए छोटे से आदेश की जिस प्रकार सेक्युलर समाज द्वारा निंदा की जा रही है और योगी जी को हिटलर, नाजी तानाशाह आदि कहा जा रहा है वह दुर्भाग्य पूर्ण है। भाजपा विरोधी सभी दल संसद में संख्याबल बढ़ जाने के कारण विकृत विचारों का अश्लील नृत्य कर रहे हैं। जिन लोगों को कांवड़ यात्रियों पर पुष्पवर्षा जनता के धन का दुरुपयोग लगती है, वे नेताओं के हवाई जहाज में जन्मदिन और नौसेना के जलपोत पर छुट्टियाँ मनाने पर तथा सैफई में मुंबई की नायिकाओं के नृत्य पर ताली बजाया करते थे। सच तो ये है कि एक छोटे से आदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक हिन्दुओं का वास्तविक हितचिन्तक कौन है।
( मृत्युंजय दीक्षित, लेखक राजनीतिक जानकार व स्तंभकार हैं.)
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