उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में क्रशर कारोबारी की मौत के बाद से फरार सिपाही ने बुधवार को सरेंडर कर दिया। जिसके बाद से उसके बारे में कई बातें सामने आ रहीं हैं। सूत्रों की मानें तो आरोपी सिपाही ना सिर्फ महोबा बल्कि उसके आस पास के जिलों के सभी बड़े कारोबारियों से रकम वसूलता था। इसी वजह से सिपाही के खिलाफ अब कई केस दर्ज किए गए हैं साथ ही उस पर 25 हजार का इनाम भी घोषित किया गया था।
ये बातें आईं सामने
जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के बर्खास्त सिपाही अरुण कुमार यादव ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद सिपाही की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। अरुण यादव ने लखनऊ की एंटी करप्शन कोर्ट में सरेंडर किया है। फिलहाल, अरुण यादव को 14 दिन की हिरासत में जेल भेजा गया है। खनन की गलत गतिविधियों से वाकिफ होने के कारण उसने अवैध धन वसूली के तमाम रास्ते निकाल रखे थे।
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धन वसूली के सारे रास्ते पता होने की वजह से अरुण अपने अफसरों का काफी खास बन जाता था। जिसके बाद अफसरों का सपोर्ट उसे मिल जाता था और वो उनकी सरपरस्ती में पहाड़ खनन क्षेत्रों, क्रशर प्लांटों व विस्फोटक कारोबारियों से वसूली शुरू कर देता था।
दैनिक जागरण अखबार की खबर की बात करें तो कबरई थानाक्षेत्र के रिवई सुनैचा गांव में जुआ अड्डों से भी उसे मोटी रकम पहुंचती थी। डेढ़ साल से पत्थर मंडी में मंदी के दौरान जब विस्फोटक कारोबारी घाटे में थे, तभी तत्कालीन एसपी मणिलाल ने सिपाही अरुण के माध्यम से ही एक कारोबारी को बुलाकर पांच-छह लाख रुपये महीने देने पर ही विस्फोटक बेच पाने की बात कही थी। उसने रुपये देने शुरू भी कर दिए थे।
इस वजह से हुआ खुलासा
दिवंगत इंद्रकांत से भी जुलाई व अगस्त 2020 में छह-छह लाख रुपये लिए गए थे। जिसके बाद से इंद्रकांत काफी घाटे में चला गया और उसने वीडियो बनाकर सिपाही और एसपी पर गंभीर आरोप लगाए। व्यापारी की संदिग्ध हालत में मौत होने के बाद से इस मामले ने तूल पकड़ा। तभी से सिपाही अरुण और निलंबित आईपीएस मणिलाल फरार थे। हालांकि सिपाही ने सरेंडर कर दिया है लेकिन आईपीएस अभी भी पुलिस गिरफ्त से दूर हैं।
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