महोबा के क्रशर कारोबारी की मौत के मामले में अब कोर्ट ने फरार आईपीएस के खिलाफ सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। दरअसल, कोर्ट ने यूपी पुलिस से पूछा है कि फरार आईपीएस मणिलाल पाटीदार की गिरफ्तारी के लिए अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं। इसके साथ भी कई मामलों ने अब कोर्ट ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया है क्योंकि आईपीएस कई महीनों से फरार चल रहे हैं, जबकि उनके खिलाफ इनाम भी दर्ज है और कई टीमें उनकी तलाश में जुटी हैं।
कोर्ट ने पूछा ये
जानकारी के मुताबिक, फरार आईपीएस के मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि उनकी तलाश मे शासन ने क्या कदम उठाये है। कोर्ट ने विवेचना कर, रही जांच एजेंसी को 14 जून तक हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि लापता पाटीदार की तलाश में अभी तक क्या कदम उठाये है। जब अग्रिम जमानत अर्जी कोर्ट से खारिज हो गयी तो गिरफ्तारी के क्या प्रयास किये गये।
इसके साथ ही कोर्ट ने यूपी पुलिस से ये सवाल किया कि क्या परिवार के किसी सदस्य ने लापता होने की शिकायत की है, तो उसपर क्या एक्शन लिया गया। क्या पुलिस ने पाटीदार का मोबाइल सर्विलांस पर डाला है, तो लास्ट लोकेशन क्या थी। क्या पुलिस ने परिवार के सदस्यो के बयान दर्ज किये है। बयान की प्रकृति क्या है, उसका खुलासा किया जाए और क्या पुलिस ने पाटीदार की गिरफ्तारी के लिए कुर्की कार्यवाही की है। सभी तथ्यों की जानकारी दी जाए।
जब इस बात पर सवाल उठने लगे कि आईपीएस पर कई केस दर्ज हैं, जिससे निपटने के लिए वो बड़े वकीलों के संपर्क में जरूर होंगे। इस पर सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय कुमार यादव ने भी पक्ष रखा। याची का कहना है कि पाटीदार ने उससे वाट्स एप कॉल के जरिये 15 नवंबर को संपर्क किया और कहा कि वह केस के सिलसिले मे 27नवंबर को आ रहे है, लेकिन वो आए नही।
इस मामले के बाद से हैं फरार
महोबा जिले के कबरई कस्बे के जवाहरनगर निवासी क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने सात सितंबर को वीडियो वायरल कर तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर घूस मांगने व किसी भी समय हत्या कराने का आरोप लगाया था। सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में निलंबित एसओ देवेंद्र शुक्ला द्वारा एसपी को पैसे भेेजने का दबाव बनाने और झूठे मुकदमे में फंसाने का भी आरोप लगाया था। आठ सितंबर को क्रशर कारोबारी को गोली लग गई और 13 सितंबर को उनकी कानपुर के रिजेंसी अस्पताल में मौत हो गई थी। शासन ने हाई-प्रोफाइल मामला होने की वजह से एसआईटी गठित कर जांच कराई है। बावजूद इसके अभी तक आईपीएस फरार चल रहे हैं।
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