कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने के बाद विकास दुबे अपने साथियों के साथ फरार हो गया था। जिसके बाद उसे आस पास के इलाकों में पनाह दी गई थी। अब इन पनाहगारों पर कार्रवाई की तैयारी है लेकिन इनका नाम बिकरू कांड से नही जोड़ा जाएगा। इन सभी के लिए एक अलग से चार्जशीट तैयार की जाएगी। जिसके आधार पर विवेचना शुरू की जाएगी।
ये आरोपी हुए गिरफ्तार
जानकारी के मुताबिक, एसटीएफ ने विकास दुबे और उसके गुर्गों की मदद करने वाले आरोपितों को 1 मार्च 2021 को गिरफ्तार किया था। इनमें विष्णु कश्यप, अमन शुक्ला, रामजी उर्फ राधे, अभिनव तिवारी, संजय परिहार, शुभम पाल और मनीष यादव शामिल हैं। इनके खिलाफ पनकी थाने में अलग-अलग अवैध असलहा की धारा में सात एफआईआर दर्ज हुई।
जिसके बाद पूर्व डीआईजी डॉ. प्रीतिन्दर सिंह के निर्देश पर सभी आरोपितों के खिलाफ धारा 216 ए (लूटे गए हथियारों को ट्रांसपोर्ट करना) में एफआईआर दर्ज की। पहले इन आरोपितों के नाम बिकरू कांड की मूल एफआईआर जिसमें आठ पुलिस कर्मियों की हत्या हुई, उसमें जोड़ा जाना था। लेकिन अब ऐसा नही होगा।
अलग से होगी कार्रवाई
बिकरू कांड की मूल घटना की विवेचना इंस्पेक्टर संजीवकांत मिश्रा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जांच में स्पष्ट हुआ है कि विकास के मददगार बिकरू कांड की घटना में शामिल नहीं थे। इन सभी सातों आरोपियों का नाम बिकरू कांड की एफआईआर से नहीं जोड़ा जाएगा। पनकी थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। उसी आधार पर विवेचना की जाएगी।
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