दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न को वापस लेने की मांग उठी. इस संबंध में उस वक्त अजीबो गरीब मीडिया में यह खबर आई की राजीव गांधी से भारत रत्न लेने का यह प्रस्ताव पास हो गया.
इसके बाद आम आदमी पार्टी के विधायक और पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने मामले पर सफाई दी. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि स्वर्गीय राजीव गांधी से जुड़ी लाइनें प्रस्ताव का हिस्सा नहीं थे. एक विधायक ने राजीव गांधी से जुड़ी लाइनें अपने हाथों से प्रस्ताव पर लिख दी. उन्होंने कहा, इस तरीके प्रस्ताव पास नहीं हो सकता है.
Lines about Late Rajiv Gandhi were not part of resolution placed before house and distributed to the members.
One MLA in his handwriting proposed an addition/amendment about Late Rajiv Gandhi.
Amendments cannot be passed in this manner.— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) December 21, 2018
हालांकि विधानसभा में नेता विपक्ष और बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने ट्वीट करके यह दावा किया कि राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव पास हो गया है और अब यह सदन की कार्रवाई का अंग बन गया.
दिल्ली विधान सभा मे सतारूढ़ दल आम आदमी पार्टी ने 1984 मे सिखों के नर संहार मामले मे
प्रस्ताव पारित किया गया कि
"राजीव गांधी का भारत रत्न वापिस लिया जाये।"
लेकिन 'AAP' नेता सफ़ाई दे रहे क्योंकि कांग्रेस से तो एक तरफ़ चुनाव मे समझौता करना है और दुसरी तरफ़ यह प्रस्ताव पास कर दिया— Vijender Gupta (@Gupta_vijender) December 21, 2018
बता दें दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर) को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराते हुए उन्हें ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने कहा कि ये दंगे ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ थे और कानून लागू करने वाली एजेंसियों की मदद से उन लोगों द्वारा किए गए जिन्हें ‘राजनीतिक संरक्षण’ प्राप्त था.
वहीँ इस कथित प्रस्ताव को लेकर आप में जमकर घमासान मचा हुआ है. इस प्रस्ताव को सोशल मीडिया पर फैलाने वाली अलका लांबा की पार्टी ने छुट्टी कर दी. उनसे विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा ले लिया. पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस मामले में सोमनाथ भारती को पार्टी के प्रवक्ता पद से हटा दिया गया है. भारती ने दावा किया था कि उन्होंने ही यह प्रस्ताव दिया था. हालांकि आप पार्टी ने कहा है कि मूल प्रस्ताव में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की बात शामिल ही नहीं थी.
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