ऑनलाइन मार्केट में आज सबकुछ ऑनलाइन मिल रहा है ऐसे में कभी-कभी इसका दुष्प्रभाव भी देखने को मिलता है. कई मामलों में लापरवाही सामने आने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑनलाइन फार्मेसियों द्वारा खुली बिक्री या डॉक्टरों के सुझाव पर दी जाने वाली दवाओं की बिक्री पर तब तक के लिए रोक लगा दी है जबतक इसके संबंध में नियम नहीं बन जाते.
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दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी.के. राव की बैंच ने कहा कि एक बार नियम प्रभाव में आ जाने दीजिए, आप (ऑनलाइन फार्मेसी) दवाओं की बिक्री शुरू कर सकते हैं. समस्या यह है कि अभी इसके नियमन के कोई नियम नहीं हैं। खबरों के अनुसार जहीर अहमद नामक एक व्यक्ति ने एक जनहित याचिका दायर की थी. उसने हाईकोर्ट को दलील दी थी कि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री करना अवैध है. उसके बाद यह बैंच मामले पर सुनवाई कर रही थी.
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ऑनलाइन दवा बेचने वाली इन कंपनियों ने अदालत से दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया था. उनका कहना है कि उनके पास लाइसेंस है और कोई भी दवा गैर-कानूनी तरीके से नहीं बेची जा रही है. उन्होंने अपनी दलील में यह भी कहा कि डॉक्टर के कहने पर दी जाने वाली दवाएं भी ऑनलाइन तभी बेची जाती हैं जब डॉक्टर का मान्य पर्चा उपलब्ध कराया जाता है.
मद्रास हाईकोर्ट ने भी लगाई पाबंदी
गौरतलब है की इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने भी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर तब तक के लिए पाबंदी लगा दी है जब तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन, दवा और सौंदर्य प्रसाधन संशोधन नियम 2018 को 31 जनवरी से पहले तक अधिसूचित न कर दे. हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट ने कंपनियों को आगे अपील करने के लिए 20 दिसंबर तक का समय दिया है। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को तय की है.