Delhi Riots 2020: दिल्ली पुलिस ने 2020 के उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों को लेकर एक 117 पन्नों का हलफनामा तैयार किया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में दायर किया जाएगा। पुलिस ने हलफनामे में दंगों को अचानक भड़की नाराजगी नहीं, बल्कि ‘सत्ता परिवर्तन अभियान’ का हिस्सा बताया है। हलफनामे में उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा सहित अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं का जवाब दिया गया है और पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध किया है।
दंगे सुनियोजित और साजिशपूर्ण: दिल्ली पुलिस
पुलिस ने हलफनामे में कहा है कि जांचकर्ताओं ने प्रत्यक्षदर्शी, दस्तावेजी और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर यह साबित किया कि दंगे सांप्रदायिक आधार पर रची गई साजिश का परिणाम थे। पुलिस का दावा है कि दंगों की योजना नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ जनता के असंतोष को हथियार बनाने और देश की अखंडता को चुनौती देने के लिए बनाई गई थी। हलफनामे में इसे अलग घटना नहीं, बल्कि सरकार को अस्थिर करने का सुनियोजित प्रयास बताया गया है।
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जेल में रहना जरूरी, जमानत नहीं
दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवाद से जुड़े ऐसे गंभीर मामलों में ‘जमानत नहीं, बल्कि जेल’ का नियम लागू होता है। पुलिस ने कहा कि अभियुक्त प्रथम दृष्टया दोष की धारणा को खारिज करने में विफल रहे हैं और अपराध की गंभीरता के कारण उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता। हलफनामे में गवाहों की संख्या पर भी ध्यान दिया गया है और केवल 100-150 गवाहों को ही महत्वपूर्ण माना गया है।
अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचने का आरोप
पुलिस ने आरोप लगाया कि हिंसा उस समय की गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत यात्रा पर थे, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की नकारात्मक छवि बनाई जा सके। हलफनामे में आरोप लगाया गया कि अभियुक्त मुकदमे की कार्यवाही में देरी के लिए ‘तुच्छ याचिकाएं’ और ‘समन्वित असहयोग’ की रणनीति अपनाते रहे। पुलिस का दावा है कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री पूरे देश में अशांति फैलाने की कोशिशों की ओर संकेत देती है।
कब हुई थी घटना?
23 से 26 फरवरी 2020 के बीच उत्तर-पूर्व दिल्ली में CAA और NRC के विरोध में हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। इस हिंसा में लगभग 53 लोगों की मौत हुई और 700 से अधिक लोग घायल हुए। कई घर और दुकानें भी जल गईं, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ। अब तक दर्ज 695 मामलों में 109 में फैसला सुनाया जा चुका है। खालिद और अन्य पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पुलिस को जमानत याचिकाओं पर जवाब देने में देरी के लिए फटकार लगाई थी
 
            