Politics Desk: दिल्ली सरकार के स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। सतर्कता निदेशालय (DOV) की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोजेक्ट में लगभग 1300 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। रिपोर्ट में निजी व्यक्तियों की संदिग्ध भूमिका और नियमों के उल्लंघन की बात कही गई है।
कैसे हुआ घोटाला?
- अप्रैल 2015 में सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाएं बनाने का आदेश दिया।
पीडब्ल्यूडी (PWD) को 193 स्कूलों में 2405 कक्षाएं बनाने की जिम्मेदारी दी गई। - लेकिन बाद में, बिना उचित सर्वे और अनुमोदन के, 7180 कक्षाओं की जरूरत बताकर प्रोजेक्ट का आकार तीन गुना बढ़ा दिया गया।
- निर्माण लागत 90% तक बढ़ा दी गई और बिना निविदा के ही 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत को मंजूरी दी गई।
मुख्य आरोप और अनियमितताएं
1. लागत में भारी वृद्धि
- 989.26 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के बावजूद खर्च 1315.57 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
निविदा जारी किए बिना 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च किया गया।
2. फर्जी निर्माण और अनावश्यक खर्च
- 160 शौचालयों की आवश्यकता थी, लेकिन 1214 शौचालय बनाए गए, जिससे 37 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ।
- कई जगह शौचालयों को कक्षा बताकर रिपोर्ट तैयार की गई।
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का दावा किया गया था, लेकिन निरीक्षण में वे गायब पाए गए।
3. निविदा प्रक्रिया में हेरफेर
- बिना किसी खुली निविदा के मेसर्स बब्बर एंड बब्बर एसोसिएट्स नामक निजी कंपनी ने प्रोजेक्ट पर असर डाला।
- इस कंपनी ने तत्कालीन PWD मंत्री की बैठक में भाग लिया, जिसके बाद 205.45 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ।
- कई ठेकेदारों को बिना उचित प्रक्रिया के 42.5 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट सौंप दिए गए।
4. नियमों की अनदेखी
- CPWD मैन्युअल, GFR और CVC दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर ठेकेदारों को निविदा मूल्य से अधिक भुगतान किया गया।
- बिना अनुमोदन के प्रोजेक्ट की लागत बढ़ा दी गई, जिससे सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ा।
सरकार पर उठ रहे सवाल
- सीवीसी (CVC) को जुलाई 2019 में इस घोटाले की शिकायत मिली थी, लेकिन AAP सरकार पर इसे ढाई साल तक दबाने का आरोप है।
- उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के हस्तक्षेप के बाद यह मामला खुलकर सामने आया।
क्या होगा आगे?
- सतर्कता विभाग ने विशेष एजेंसी द्वारा विस्तृत जांच की सिफारिश की है। अगर जांच में आरोप सही साबित होते हैं, तो AAP सरकार और संबंधित अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।


















































