जिलेवार अल्पसंख्यकों के निर्धारण की मांग, जहां हिंदू कम उन राज्यों में शैक्षणिक संस्थान खोलने की हो इजाज़त, SC में देवकीनंदन ठाकुर की याचिका

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) के बाद अब मथुरा के प्रख्यात भगवताचार्य देवकीनंदन ठाकुर (Devkinandan Thakur) भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने देश में हर जिले की आबादी के लिहाज से अल्पसंख्यकों के निर्धारण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में नेशनल कमीशन माइनॉरिटी एक्ट के सेक्शन-2 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है, जिसके तहत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर 6 समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित किया हुआ है।

याचिका में कहा गया है कि देश के 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। लद्दाख में हिंदू आबादी 1 फीसदी मिज़ोरम में 2.75 प्रतिशत, लक्ष्यदीप में 2.77 फीसदी, कश्मीर में 4 फीसदी, नागालैंड में 8.74 प्रतिशत, मेघालय में 11.52 फीसदी, अरुणाचल में 29 प्रतिशत, पंजाब में 38.49 प्रतिशत और मणिपुर में 41.29 फीसदी हिंदू आबादी है। लेकिन फिर भी वो अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते। जबकि संविधान का आर्टिकल 30 धार्मिक और भाषाई अल्पसख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान खोलने और उनके प्रशासन का अधिकार देता है।

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वहीं, इससे पहले उन्होंने उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस कानून के खिलाफ अब तक कुल सात याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है। सबसे पहले हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने इस कानून के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।

इस याचिका के कुछ ही हफ्ते बाद 12 मार्च 2021 को बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर नोटिस भी जारी हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर नोटिस जारी कर सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था।

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