उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई और सेवा से बाहर किए जाने के निर्देश दिए, जिनका चाल और चरित्र ठीक नहीं है और वह सरकार की बदनामी का कारण बन रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर हरकत में आए महकमे ने शासनादेशों का हवाला देकर सभी विभागाध्यक्षों को इस बाबत पत्र लिखा है। इनमें पुलिस महकमा भी शामिल है।
आधा दर्जन आईपीएस भी हो सकते हैं जबरन रिटायर
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश के आधा दर्जन आईपीएस अधिकारियों को जबरन रिटायर करने की तैयारी की जा रही है। डीजीपी मुख्यालय ऐसे अधिकारियों की सूची तैयार कर रहा है। इनकी स्क्रूटनी प्रदेश के आला अफसर और डीओपीटी के अफसर मिलकर करेंगे और निर्णय लेंगे। सूत्रों के मुताबिक डीजीपी मुख्यालय (DGP Office) जबरन रिटायरमेंट के लिए जिन आईपीएस अधिकारियों की सूची तैयार कर रहा है उसमें लगभग सभी अधिकारी प्रांतीय पुलिस सेवा से प्रोन्नति पाकर आईपीएस बने हैं।
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बताया जा रहा है कि 50 साल की उम्र पार कर चुके इन अफसरों को तीन माह का नोटिस देकर उन्हें सेवा से बाहर करने की तैयारी है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए जो पैमाना तय किया गया है उसमें संबंधित अधिकारी का व्यवहार, 10 साल की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि और उक्त अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप यदि सिद्ध हुए हैं, तो उसे भी देखा जाएगा।
सिपाही ही नहीं डीआईजी स्तर के अफसर भी शामिल
सूत्रों की मानें तो जबरन रिटायरमेंट की इस कवायद में सिपाही से लेकर डीआईजी स्तर के अधिकारियों तक को छांटा जा रहा है। विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए गए हैं कि 31 मार्च 2019 को जिन पुलिस कर्मियों और अधिकारियों ने 50 साल की उम्र पूरी कर ली हो उनकी स्क्रीनिंग की जाए।
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मिली जानकारी के मुताबिक, डीजीपी मुख्यालय ने ऐसे पुलिस कर्मियों और अधिकारियों की सूची 30 जून तक मांगी है। आईपीएस अधिकारियों की स्क्रीनिंग डीओपीटी और पुलिस विभाग के अधिकारी व मुख्य सचिव मिलकर करेंगे।
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