आपने किराये पर गाड़ी और घर मिलने का तो सुना होगा. लेकिन किराये पर पत्नी मिलने की बात नहीं सुनी होगी. अगर आपको कहें कि भारत में ही एक ऐसी जगह भी है जहां पत्नी किराये पर मिलती है तो आपको यकीन नहीं होगा. मगर, यह बात एकदम सच है. देश के एक इलाके में ऐसा हो रहा है. दरअसल, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शिवपुरी (Shivpuri) जिले में एक प्रथा प्रचलित है जिसका नाम ‘धड़ीचा’ है. यहां एक महीने से लेकर एक साल के लिए पत्नी किराये पर मिलती है.
एनबीटी में प्रकाशित खबर के मुताबिक इस प्रथा की आड़ में यहां एक मंडी लगती है. उस मंडी में ही महिलाओं का सौदा तय होता है. सौदा तय होने के बाद खरीदार पुरुष और बिकने वाली महिला के बीच एक करार होता है. यह करार 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक के स्टांप पेपर पर किया जाता है. खरीदार पुरुष को महिला या उसके परिवार को एक निश्चित रकम अदा करनी पड़ती है. यह रकम 50 हजार से 4 लाख रुपये तक होती है.
करार की अवधि समाप्त होने के बाद महिला की फिर दूसरे पुरुष से शादी हो जाती है. अगर पहले वाला पुरुष ही महिला को रखना चाहता है तो उसे फिर से मोटी रकम अदा करनी होती है. महिला चाहे तो करार बीच में भी तोड़ सकती है. उस स्थिति में महिला को स्टांप पेपर पर शपथपत्र देना होता है. उसके बाद तय राशि पति को लौटानी पड़ती है. कभी-कभी दूसरे पुरुष से ज्यादा पैसा मिलने पर भी महिला करार तोड़ देती है.
ऐसा ही एक मामला गुजरात से भी सामने आया था. जहां एक फार्म में मजदूरी करने वाले एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को एक महीने के लिए एक जमींदार को किराये पर दे दिया था. वैसे गुजरात-एमपी के कुछ इलाके में यह एक व्यापार बन गया है. कई मामले में तो महिलाओं को 500 रुपये तक में बेच दिया जाता है. इसके दो बड़े कारण लिंगानुपात में गिरावट और गरीबी है. इस इलाके में लिंगानुपात में काफी गिरावट देखी जा रही है. इससे कई पुरुषों को पत्नी नहीं मिलती. वहीं, कुछ लोग गरीबी की वजह से भी ऐसा करते हैं. झारखंड, बिहार, बंगाल आदि जगहों से गरीब लड़कियों को लाकर भी उनका सौदा किया जाता है.
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