Shani Dhaiya SadeSati 2021: शनि न्याय के देवता माने जाते हैं. जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है उसे फल भी शनिदेव वैसा ही देते हैं. अच्छा कर्म करने वाले को साढ़ेसाती या ढैया में भी फल अच्छा ही मिलता है. ग्रहों और कुड़ली के हिसाब से शनि ग्रह की गणना का भी बहुत ही महत्व है. साल 2021 में शनि का राशिपरिवर्तन शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की महादशा का विभिन्न राशियों पर प्रभाव पड़ता है. शनि की महादशा, शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या जिन लोगों पर चल रही है, उन लोगों को वर्ष 2021 में सावधान रहने की जरूरत है. वर्ष 2021 में शनि की चाल में कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. इस साल शनि देव कोई गोचर नहीं कर रहे हैं. शनिदेव वर्ष 2020 में अगले ढ़ाई वर्षों के लिए धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में मौजूद हैं.
साल 2021 की शुरुआत में ही ग्रहों की स्थिति में काफी बड़े बदलाव होने जा रहे हैं. लेकिन कुछ ग्रहों के साथ योग संयोग बनाकर अपना शुभ और प्रतिकूल फल प्रदान करेंगे. ऐसे में शनि जो 2020 की जनवरी से मकर में चल रहे हैं वह किन-किन राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव बनकर उनके जीवन में में उथल-पुथल की स्थिति बनाए रखेंगे. साल की शुरुआत में शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होंगे, जिसका स्वामी सूर्य ग्रह को कहा जाता है और 22 जनवरी को श्रवण नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे. इसके बाद शनि देव का उत्तराषाढ़ा और श्रवण नक्षत्रों में गोचर होगा. 2021 में शनि नक्षत्र परिवर्तन (Shani Nakshatra Transit 2021) के आधार पर जातकों फल देंगे.
शनि की ढैय्या इन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव
वर्ष 2021 में मिथुन एवं तुला राशि वाले लोगों पर साल भर के लिए शनि की ढैया का प्रभाव रहेगा. इसके अलावा 2021 में सिंह राशि के लोगों को कुछ अच्छे तो कुछ बुरे परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं.
इन राशियों पर रहने वाला है शनि का साढे़साती का प्रभाव
वर्ष 2021 में धनु, मकर एवं कुंभ राशि वाले लोगों पर साल भर के लिए शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा. आपको बता दें मकर में प्रवेश के समय धनु राशि के लिए उतरती, मकर के लिए मध्य और कुम्भ राशि के लिए चढ़ती साढ़े साती का प्रभाव रहेगा.
कैसे निर्धारित होती है ढैय्या और साढ़ेसाती
जब शनि किसी जातक की जन्मराशि से द्वादश अथवा प्रथम या द्वितीय स्थान में हों तो यह स्थिति शनि की साढ़ेसाती कहलाती है. ऐसा होने पर जातक को मानसिक संताप, शारीरिक कष्ट, कलह-क्लेश, अधिक खर्च का सामना करना पड़ता है. शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक गतिशील रहते हैं. इसका प्रभाव एक राशि पहले से एक राशि बाद तक पड़ता है. यही स्थिति साढ़ेसाती कहलाती है. जब गोचर में शनि किसी राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में होता है तो यह स्थिति ढैय्या कहलाती है.
ऐसे शुभ बन जाती है ढैय्या और साढ़ेसाती
अगर शनि तृतीय, षष्ठ और एकादश भाव में हों तो साढ़ेसाती और ढैय्या करिश्माई परिणाम की साक्षी बनती हैं और तब यह योग जीवन में सफलता लेकर आता है. साढ़ेसाती लगभग साढ़ेसात साल और ढैय्या ढाई साल चलती है. हर किसी के जीवन साढ़ेसाती हर 30 साल में जरूर आती है. शनि की महादशा 19 साल की होती है.
करें यह उपाय
प्रत्येक शनिवार को शनि मंत्र का संकल्पपूर्वक जप करना चाहिए.
ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का कम से कम 3 माला जरूर जप करना चाहिए. इसके अलावा निम्न शनि स्त्रोत का पाठ भी जरूर करना चाहिए.
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरुपाय कृतान्ताय च चै नम:।।
शास्त्रों में बताया गया है कि शनिश्चरी अमावस्या हो तो उस दिन शाम, सूर्यास्त के बाद शनि पूजन और जप करना विशेष शुभकारी होता है. पश्चिम दिशा की ओर मुख करके और काले कंबल पर बैठकर शनिदेव की पूजा करना सबसे अच्छा माना जाता है.
शनिवार के दिन करें सुंदरकांड का पाठ
शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने से सभी जातकों के ऊपर से शनि के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं. शनिवार की शाम को स्टील की कटोरी में सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है.
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुकपर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं. )