उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj) जिले में माघ मेला क्षेत्र के महावीर मार्ग पर ब्रह्मा ऋषि आश्रम ट्रस्ट की ओर से धर्म संसद (Dharma Sansad) आयोजित की गई, जिसमें संतों ने भारत को संवैधानिक रूप से हिंदू राष्ट्र (Hindu Rashtra) घोषित करने का प्रस्ताव पास किया। इस दौरान यह भी कहा गया कि आज से ही सभी लोग हिंदू राष्ट्र भारत लिखेंगे।
यही नहीं, धर्म संसद में संतों ने भारत में मुसलमानों का अल्पसंख्यक दर्जा समाप्त करने की मांग भी की। इसके अलावा हिंदुओं के मठ मंदिर का अधिग्रहण खत्म करने समेत कई प्रस्ताव पारित किए गए। इसमें धर्मांतरण कराने पर फांसी जैसी कठोर सजा का प्रावधान करने, जेल में बंद स्वामी नरसिंहानंद गिरि और हाल में इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को रिहा करने मुद्दा भी शामिल है।
उत्तरप्रदेश, इलाहाबाद में धर्मसंसद में फिर दिए गए विवादास्पद बयान 'चाहे देश का प्रधानमंत्री हो या उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री हो हिंदू राष्ट्र को कोई रोक नहीं सकता' pic.twitter.com/6L2SlOovTY
— Kashif Arsalaan (@KashifArsalaan) January 30, 2022
संतों ने कहा कि दोनों धर्मगुरुओं को बिना शर्त रिहा किया जाए। संत सम्मेलन के मुख्य अतिथि काशी सुमेरू पीठ के स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने देश के 80 करोड़ हिंदुओं का आह्वान किया कि सरकार माने या न माने, लेकिन लोग अभी से हिंदू राष्ट्र भारत लिखना शुरू करें। उन्होंने कहा कि अंत में सरकार संतों और आम जनता के दबाव के आगे झुकेगी क्योंकि संत सम्मेलन का लक्ष्य भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है और इस्लामिक जिहाद को दूर करना है।
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इस दौरान जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि हम अपने देवी-देवताओं से शिक्षा ग्रहण कर अपने हाथों में अस्त्र शस्त्र धारण करें। उन्होंने यहां तक कह दिया कि रोको, टोको और ना मानने पर ठोक दो। उनकी तरफ से देश का रक्ष बजट बढ़ाने की भी अपील की गई और देशद्रोहियों को गर्म तेल से स्नान करवाने की पैरवी की गई। उन्होंने महात्मा गांधी को भी राष्ट्रपिता मानने से मना कर दिया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत का पहला प्रधानमंत्री बताया।