उन्नाव का दलित युवती हत्याकांड (Unnao Dalit Girl Murder Case) लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. प्रशासन द्वारा पीड़ित परिवार की लगभग सभी मांग मानी जा चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद परिवार संतुष्ट नजर नहीं आ रहा है. पीड़िता की मां मुख्यमंत्री दरबार के सामने भूख हड़ताल करने की धमकी दे रही हैं. मामले में मुख्य आरोपी समेत सभी की गिरफ्तारी की जा चुकी है. प्रशासन पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता और एक सरकारी आवास दे चुका है, लेकिन अब परिवार अपनी मांग बढ़ाता ही जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि भोलाभाला पीड़ित परिवार कहीं सियासतदानों के हाथ का मोहरा तो नहीं बन गया?.
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि जिला प्रशासन ने बिना कोई देरी किए सभी मांग मान लीं तो पीड़ित परिवार द्वारा लगातार मांग बढ़ाना कहा तक जायज है. पहले अपराधियों की गिरफ्तारी की बात कही तो पुलिस ने ताबड़तोड़ दबिश देकर मुख्य आरोपी समेत सभी 6 आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. फिर कहा गया कि हम संतुष्ट नहीं है दोबारा पोस्टमार्टम करवाना है, प्रशासन ने इसे भी मंजूर करके 24 घंटे में दोबारा पोस्टमार्टम करवा दिया. ऐसे ही सरकारी आवास की मांग को प्रशासन ने बिना कोई देरी किए मंजूरी दे दी.
इसके अलावा मृतका के परिवार की मांग पर प्रशासन ने तुरंत 4.5 लाख की आर्थिक सहायता पहुंचाई लेकिन परिवार इससे भी खुश नजर नहीं आ रहा. अब मांग है कि 25 लाख रूपए नकद दिए जाएं. पीड़ित परिवार पर बार-बार बयान बदलने का भी आरोप है. परिवार जिसका भी नाम ले रहा है पुलिस उसे हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. ऐसे ही आरोप में आश्रम के एक महंत को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिसके बाद से इलाके के लोगों में रोष देखने को मिल रहा है.
सूत्रों की माने तो दलित युवती की हत्या मामले में कुछ सियासी दल अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि तमाम दलों के नेता पीड़ित परिवार को बरगलाकर अपना सियासी हित साधने में जुट गए हैं. उनका तर्क है कि मामले में प्रशासन स्तर से सारी कार्रवाई औऱ मदद के बावजूद पीड़िता की मां जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक पर सुनवाई न करने का आरोप लगा रही है, ताकि योगी आदित्यनाथ सरकार कटघरे में आ जाए औऱ विपक्षी दलों को पॉलिटिकल माइलेज मिल जाए.
बता दें कि मुख्य आरोपी पूर्व सपा मंत्री का बेटा और सपा समर्थक है इसके बावजूद भी अखिलेश यादव मामले से किनारा कर सरकार पर ही हमलावर हैं. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी मामले में जमकर राजनीति की और खुद को पीड़ित परिवार का हिमायती बताया. वहीं दलितों की राजनीति करने वाली भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने भी पीड़ित परिवार से मुलाकात करके मामले को तूल दिया. बताया जा रहा है कि कुछ स्थानीय विपक्षी नेता अब भी परिवार के संपर्क में हैं अपनी राजनीतिक जमीन बनाने के लिए लगातार परिजनों को बहका रहे हैं.
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, कांशीराम कालोनी में रहने वाली 22 वर्षीय युवती 8 दिसंबर को लापता हो गई थी. युवती की मां ने सपा के पूर्व मंत्री फतेह बहादुर सिंह के बेटे रजोल सिंह पर आरोप लगाए थे. इसके बाद मां ने बीती 24 जनवरी को लखनऊ में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की कार के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था. इस घटना के बाद मामले ने तूल पकड़ा और पुलिस और अधिक सक्रिय हुई. लापरवाही के आरोप पर एसपी ने तत्काल कोतवाल अखिलेश चंद्र पांडेय को सस्पेंड कर दिया. पुलिस ने मामले में युवती की मां की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया और मुख्य आरोपी राजोल सिंह, उसका साथी सूरज सिंह, रजोल के बड़े भाई पूर्व ब्लाक प्रमुख अशोक सिंह और दिव्यानंद आश्रम के महंत समेत 6 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है.
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