Oscars 2022: भारत की Writing with Fire ऑस्कर से चूकी, Summer of Soul को मिला बेस्ट डॉक्यूमेंट्री का प्राइज़

इस साल के ऑस्कर अवॉर्ड में एक बार फिर भारतीयों को निराशा मिली है. दरअसल, 94वें एकेडमी अवॉर्ड्स/ऑस्कर का आयोजन इस साल कैल‍िफोर्न‍िया स्थ‍ित लॉस एंजेल‍िस के डॉल्बी थिएटर में किया गया है. इस बार भारत की डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर’ ऑस्कर में नोमिनेट हुई थी लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. पर इस कैटेगरी में समर ऑफ सोल (Summer of Soul) ने बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर का ऑस्कर अपने नाम किया है. राइटिंग विद फायर में खबर लहरिया के उत्थान की कहानी को बहुत ही सलीके से दिखाया गया.

क्या है इस डॉक्यूमेंट्री में…?

जानकारी के मुताबिक, ऑस्कर 2022 में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री के लिए नामित भारत की पहली डॉक्यूमेंट्री राइटिंग विद फायर पुरस्कार पाने से चूक गई. ‘राइटिंग विद फायर’ का निर्देशन रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष ने मिलकर किया है. खास बात यह है कि दोनों के करियर की ये पहली डॉक्यूमेंट्री है, जिसे ग्लोबल लेवल पर पसंद किया गया है. ‘राइटिंग विद फायर’  में दिखाया गया है कि एक महिला पत्रकारों को कैसी कैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

बता दें कि राइटिंग विद फायर एक ऐसी डॉक्यूमेंट्री है जो पत्रकारिता पर आधारित है. ये फिल्म ऑस्कर्स में तो नॉमिनेट हुई ही है लेकिन इससे पहले इसे सनडांस फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड मिल चुका है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस डॉक्यूमेंट्री को अभी तक करीब 20 इंटरनेशनल अवॉर्ड्स मिल चुके हैं.

‘खबर लहरिया’ की संपादक कविता बुंदेलखंडी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, ‘‘ हमें इस बात पर बहुत गर्व है कि हमारे संगठन पर इस तरह का वृत्तचित्र बनाया गया….हम जानते हैं कि स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं के पास यह विशेषाधिकार है कि वे अपने ढंग से कहानी पेश कर सकते हैं, लेकिन हमारा यह कहना है कि पिछले 20 वर्षों से हमने जिस तरह की स्थानीय पत्रकारिता की है या करने की कोशिश की है, फिल्म में वह नजर नहीं आती.’’

खबर लहरिया ने पहले ही किया था ब्लॉग पोस्ट

ऑस्कर से पहले एक लंबे ब्लॉग पोस्ट में खबर लहरिया ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री – जिसे टीम ने हाल ही में देखा – उनकी कहानी का सिर्फ एक हिस्सा है, ‘और आंशिक कहानियों में कभी-कभी पूरी तरह से विकृत करने का एक तरीका होता है.’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘फिल्म काफी गतिशील और शक्तिशाली है, लेकिन इसमें खबर लहरिया का एक संगठन के रूप में रिपोर्टिंग पर फोकस करना गलत दिखाया गया है.’ हालांकि सोशल मीडिया पर इसके रेस से बाहर होने पर काफी मायूसी है.

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